सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों में बना हुआ है विवाद, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली: सरकार और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच विवाद थम नहीं रहा है. अब सरकार ने सभी कंपनियों को नोटिस भेजकर पूछा है कि नियम का पालन अब तक क्यों नहीं किया गया. वहीं फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप ने सरकार के नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. उधर सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच फेसबुक और ट्विटर बंद होने की चर्चा जोरों पर है. आखिर ये विवाद है क्या, यहां समझ लीजिए.
दरअसल, एक लंबे समय से देश में सोशल प्लेटफॉर्म को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. ऐसे में तीन महीने पहले 25 फरवरी को केंद्र सरकार ने नए आईटी नियम जारी किए थे. इसी नियमों के बाद से दोनों पक्षों में तकरार बढ़ गई.
क्या है नई आईटी गाइडलाइंस
नई गाइडलाइंस के अनुसार, सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. इसके तहत कंपनियों को तीन अधिकारियों (चीफ कॉम्प्लियांस ऑफिसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस ऑफिसर) को नियुक्त करना है. ये अधिकारी भारत के ही रहने वाले होने चाहिए. इनका कॉन्टेक्ट नंबर सोशल मीडिया वेबसाइन और ऐप पर होना अनिवार्य है. ताकि लोग शिकायत कर सकें. यही नहीं, इन अधिकारियों के लिए शिकायत का अपडेट देने के लिए 15 दिनों समयसीमा भी तय की गई है. साथ ही इस पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा गया है.
इसके अलावा अगर कोई गलत/फेक पोस्ट वायरल हो रही है तो सरकार कंपनी से उसके ऑरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है. यानी कि सरकार पूछ सकती है कि वह पोस्ट सबसे पहले किसने शेयर किया. सरकार और कंपनियों के बीच इसी नियम को लेकर विवाद है. व्हाट्सएप का कहना है कि यह नियम एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों के निजता के अधिकार को कमजोर करेगा.
व्हाट्सएप प्रवक्ता ने कहा, “हम दुनिया भर में लगातार नागरिक समाज और विशेषज्ञों के साथ उन अनिवार्यताओं का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन करेंगे. इस बीच, हम लोगों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से व्यावहारिक समाधानों पर भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे.”
सरकार ने कहा, नए नियम निजता के खिलाफ नहीं
सरकार ने नए डिजिटल नियमों का पूरी निष्ठा के साथ बचाव करते हुए कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और व्हॉट्सएप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जारी बयान में कहा गया है कि नए आईटी नियमों के तहत देश की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था और देश की सुरक्षा से जुड़े ‘बेहद गंभीर अपराध’ वाले संदेशों को रोकने या उसकी जांच के लिए ही उनके मूल स्रोत की जानकारी मांगने की जरूरत है.
नए आईटी नियमों को 26 मई से प्रभाव में आना था, जिसकी घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी. ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों को नए नियमों के अनुपालन के लिए तीन महीने का समय दिया गया था. इस कैटेगरी में उन मंचों को रखा जाता है, जिनके यूजर्स की संख्या 50 लाख से अधिक है. नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनियों पर कार्रवाई की जा सकती है.