स्वास्थ्य

कोरोना महामारी सर्वे ने विश्व में बढ़ाई चिंता, एक साल में बेअसर हो सकती है कोरोना की दवा

न्‍यूयॉर्क : कोरोना वायरस संक्रमण से निजात पाने के लिए दुनियाभर में टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है। इस बीच वायरस में म्‍यूटेशन और इसके कई नए स्‍ट्रेन भी सामने आए हैं, जिससे इसे लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। अब इस संबंध में 50 संगठनों के एक अलायंस ने सर्वे किया है, जिसमें कहा गया है कि वायरस में म्‍यूटेशन से कोविड-19 से बचाव के लिए लगाई जा रही वैक्‍सीन 1 साल में ही बेअसर हो सकती है।

कोविड-19 वैक्‍सीन इस संक्रामक रोग से बचाव के लिए इंसानी शरीर को कितने समय के लिए इम्‍युनिटी प्रदान करेगा और क्‍या यह कोरोना वायरस के नए स्‍ट्रेन्‍स पर भी प्रभावी होगा, ऐसे सवालों के बीच अब इस सर्वे ने दुनियाभर में वैक्‍सीन को लेकर चिंता और बढ़ा दी है। यह सर्वे म्यूटेशन पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने किया है। 28 देशों के 77 महामारी विज्ञानियों, वायरोलॉजिस्ट और संक्रामक रोग विशेषज्ञों में से दो-तिहाई का कहना है कि कोविड-19 का वैक्‍सीन एक साल या उससे भी कम समय में अप्रभावी हो सकता है।

वहीं, सर्वे में शामिल लगभग एक तिहाई विशेषज्ञों ने वैक्‍सीन के नौ महीने या उससे भी कम समय तक प्रभावी रहने की बात कही है। केवल 8 में से केवल एक विशेषज्ञ ने कहा है कि वायरस म्‍यूटेशन का वैक्‍सीन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

टीकाकरण पर जोर
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि दुनिया के कई देशों में कोविड-19 वैक्‍सीनेशन पर्याप्‍त संख्‍या में उपलब्‍ध नहीं होना भी वायरस के म्‍यूटेशन का एक प्रमुख कारण है, जिसका जोखिम आने वाले दिनों में अब बढ़ सकता है। ऑक्सफैम और यूएनएड्स सहित 50 से अधिक संगठनों वाले पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने चेतावनी दी है कि टीके लगाने की जो दर है, उससे अलगे एक साल में गरीब मुल्‍कों में केवल 10 फीसदी लोगों को ही टीका लगाया जा सकेगा।

सर्वे में शामिल तकरीबन 88 प्रतिशत विशेषज्ञों का कहना है कि कई देशों में कम वैक्‍सीन कवरेज के कारण वायरस में रेसिस्‍टेंट म्‍यूटेशन हो सकता है। विशेषज्ञों ने दुनियाभर में वैक्‍सीन कवरेज बढ़ाने पर जोर दिया है, ताकि एक निश्चित आबादी में हर्ड इम्‍युनिटी विकसित की जा सके। हर्ड इम्‍युनिटी के लिए कम से कम 70 फीसदी आबादी का टीकाकरण जरूरी समझा जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस जितना फैलेगा, उसमें म्‍यूटेशन भी उतनी ही तेजी से होने का जोखिम है और ऐसे में वे टीकों को एक साल या उससे भी कम समय में अप्रभावी बना सकते हैं। इसलिए टीकाकरण बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को संक्रमण से बचाव मिल सके। दुनिया की एक बड़ी आबादी के टीकाकरण के बाद शेष समुदाय के भी संक्रमण से बचने की संभावना बढ़ जाती है।

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