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कर्नाटक के हिजाब विवाद में कूदीं मलाला यूसुफजई, भारतीय नेताओं से की ये अपील, जानें क्या है पूरा मामला

कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. मलाला ने कहा है कि लड़कियों को स्कूल में एंट्री देने से रोकना भयावह है. हिजाब विवाद ने अब हिंसक मोड ले लिया है. मंगलवार को पूरे कर्नाटक में हिंसा से जुड़ी कई चौंकाने वाली घटनाएं देखने को मिली.

मलाला यूसुफजई ने ट्वीट कर लिखा, ‘’हिजाब पहने हुई लड़कियों को स्कूलों में एंट्री देने से रोकना भयावह है. कम या ज्यादा कपड़े पहनने के लिए महिलाओं का वस्तुकरण किया जाता है. भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोकना चाहिए.’

मलाला को जानिए

मलाला पाकिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर आवाज उठाती रही हैं. 11 साल की उम्र में मलाला को तालिबान में गोली मार दी थी. लंबे इलाज के बाद वह ब्रिटेन शिफ्ट हो गईं. साल 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. य पुरस्कार जीतने वाली वह सबसे कम उम्र की महिला हैं.

कैसे शुरू हुआ हिजाब विवाद?

कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कक्षा में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कॉलेज परिसर से बाहर चले जाने को कहा गया. इसके बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया. हालात ये हैं कि यह मुद्दा अब राज्य के विभिन्न हिस्सों में भी फैल गया है. दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से समर्थित युवा हिन्दू भगवा गमछा डालकर इस मामले में कूद पड़े. कई जगह हिंसा की घटना भी सामने आई हैं.

बागलकोट जिले में उग्र युवाओं ने एक शिक्षक पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया है, जिससे उनके सिर में गंभीर चोट आई है. शिवमोग्गा जिले में भीड़ की ओर से एक छात्र की पिटाई की गई और इसके बावजूद बीजेपी विधायक हरातालु हलप्पा मूकदर्शक बने रहे.

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