खास रिपोर्ट

अहमदाबाद के बीजेपी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय व दर्जा प्राप्त मंत्री रईस खान पठान आए मुजफ्फरनगर की महिला की पैरवी करने डीएम के पास

Anil Makwana

अहमदाबाद

रिपोर्टर – पारस राठौड़

जनपद मुजफ्फरनगर की कचहरी स्थित डीएम कार्यालय पर आज बड़ा चौंकाने वाला मामला नजर आया जहां सरकारी सिक्योरिटी के साथ अहमदाबाद निवासी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय व सेंट्रल ऑफ कॉमर्स के केंद्रीय दर्जा प्राप्त मंत्री रहीस खान पठान अपने दल बल के साथ डीएम कार्यालय पर पहुंचे जहां उन्होंने जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे से मुलाकात की ओर बताया कि मुजफ्फरनगर निवासी ज्योति राठी पत्नी राजीव राठी निवासी सोंटा गांव हाल फिलहाल गाजियाबाद में रह रही ज्योति राठी के ससुराल पक्ष के साथ चल रहे माल मुकदमें और बच्चों को लेकर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर जिलाधिकारी को पूरे मामला से अवगत कराया और कहा कि अभी तक इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है ज्योति राठी के ससुराल पक्ष के लोग मेरी मुंह बोली बहन ज्योति राठी को परेशान कर रहे हैं और उसकी प्रॉपर्टी का हिस्सा और उसके दो जुड़वा बच्चे उसकी सुपुर्दगी में नहीं दे रहे है ज्योति राठी अपनी इकलौती बेटी को लेकर इन्हीं लड़ाई झगड़ो की वजह से गाजियाबाद रह रही है ज्योति राठी हमारी भारतीय जनता पार्टी की एक वरिष्ठ कार्यकर्ता भी है हम चाहते हैं कि इस मामले को संज्ञान में लेकर तुरंत कार्रवाई हो वही दर्जा प्राप्त मंत्री रईस खान पठान ने जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे से कई मुद्दों को लेकर बातचीत की जिस पर जिलाधिकारी ने कार्रवाई करने का पूरा आश्वासन दिया है वई जिलाधिकारी कार्यालय पर पीड़ित महिला ज्योति राठी ने भी अपने ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए इंसाफ की गुहार लगाई है और बताया कि मैं इन्हीं सभी चीजों से परेशान होकर अब अपनी अकेली बेटी को लेकर गाजियाबाद रह रही हूं और मैं चाहती हूं कि मुझे न्याय मिले जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे से मिलने के बाद दर्जा प्राप्त मंत्री रहीस खान पठान अपनी मुहँ बोली बहन ज्योति राठी व अपने दल बल के साथ जिलाधिकारी कार्यालय से कूच कर गए वही दिलचस्प यह भी है कि उस मुजफ्फरनगर में जहां सांसद और विधायक सभी भारतीय जनता पार्टी के हैं वहां कोई हिंदूवादी व पार्टी का नेता ज्योति राठी के पक्ष में खड़ा नजर नहीं आया और ज्योति राठी यहां किसी भी प्रकार का कोई सहारा लेने में असफल रही उसी ज्योति राठी को यहां से सैकड़ों मील दूर गुजरात के अहमदाबाद से अल्पसंख्यक मोर्चा के एक मुस्लिम भाई का सहारा नसीब हुआ

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