महाशिवरात्रि विशेष- क्या है भगवान शिव की तीसरी आंख का रहस्य? कैसे मिली?
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधिवत पूजा अर्चना की जाती है. 01 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि है. भगवान शिव जितने भोले हैं, उतने ही रहस्यमयी भी है. महाशिवरात्रि की विशेष श्रृंखला में आज हम आपको भगवान शिव की तीसरी आंख के रहस्य के बारे में बता रहे हैं. धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान शिव अपनी तीसरी आंख खोलते हैं, तो प्रलय आता है. उनकी तीसरी आंख में इतनी ऊर्जा है कि वे पूरी सृष्टि को भस्म कर सकते हैं. वे ही एक मात्र देव हैं जो त्रिनेत्रधारी हैं और तीनों काल भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने वाले त्रिकालदर्शी हैं. भगवान शिव को तीसरी आंख कहां से मिली और इसका रहस्य (Secret) क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में.
त्रिकालदर्शी भगवान शिव
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की तीन आंखें हैं. एक आंख को सूर्य तो दूसरे को चंद्रमा माना जाता है. तीसरी आंख को ज्ञानचक्षु कहते हैं, जो ललाट पर दोनों भौहों के बीच में आज्ञाचक्र पर स्थित है. भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो तीन आंखों वाले हैं.
भगवान शिव ने अपने तप, साधना और एकाग्रता से तीसरी आंख प्राप्त की है. ऐसी मान्यता है. वे अपनी ज्ञानचक्षु से ही भविष्य की बातों को जान पाते हैं. पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव की तीन आंखें तीन काल हैं. उनको भूत, भविष्य और वर्तमान का प्रतीक माना जाता है. ये स्वर्ग, नरक और पाताल तीन लोकों के भी प्रतीक माने गए हैं.
भगवान शिव के तीसरी आंख से जुड़ी घटनाएं
1. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव की दोनों आंखों को अपने हाथों से ढक दिया. तब उनकी तीसरी आंख से प्रलयकारी ऊर्जा निकलने लगी. चारों ओर हाहाकार मचने लगा, तब माता पार्वती ने भगवान शिव के आंखों से अपने हाथ हटा लिए. फिर जाकर स्थिति सामान्य हुई.
2. माता सती के आत्मदाह करने से आहत भगवान शिव वर्षों तक तपस्या में लीन रहे. उधर माता सती का पार्वती के रूप में जन्म हो गया था. सभी देवी देवता चाहते थे कि शिव जी का मिलन माता पार्वती से हो, लेकिन समस्या शिव जी के ध्यान को भंग करने का था क्योंकि उनके क्रोध से सभी परिचित थे.