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देहरादून: 100 फीसदी रिजल्ट में एक अंक से चूकी 12वीं की टॉपर भव्या, बनना चाहती हैं डॉक्टर

देहरादून: आईएससी नतीजों में 12वीं में एक बार फिर इतिहास बनते-बनते रह गया। ब्राइटलैंड स्कूल की छात्रा भव्या मदान 100 प्रतिशत रिजल्ट से केवल एक अंक से चूक गई। शीर्ष चार में से तीन विषयों में उन्होंने सेंचुरी मारी है। भव्या का सपना अब डॉक्टर बनना है।

भव्या के पिता डॉ. विनीत कुमार एफआरआई में साइंटिस्ट हैं। मां डॉ. रागिनी मदान ब्राइटलैंड स्कूल में टीचर हैं। भव्या ने दो साल पहले 10वीं में 98.25 प्रतिशत अंकों के साथ प्रदेश टॉप किया था। 12वीं में उन्होंने मैथ्स और बायो दोनों विषय एक साथ लिए।

मुश्किल विषयों के बावजूद भव्या ने शानदार प्रदर्शन किया। शीर्ष-चार विषयों में से तीन विषयों में उन्होंने 100 अंक हासिल किए हैं। बायोलॉजी में वह एक अंक से चूक गई। लिहाजा, उन्होंने 12वीं में 400 में से 399 अंक स्कोर किए हैं। हालांकि सीआईएससीई ने इस साल ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है लेकिन भव्या का स्कोर राष्ट्रीय स्तर पर देखा जा रहा है।

कोविड की वजह से नहीं हो पाया बायोलॉजी का पेपर

लॉकडाउन की वजह से भव्या का बायोलॉजी का पेपर नहीं हो पाया। उन्हें इस बात का रंज तो है लेकिन वह अब काउंसिल के परीक्षा विकल्प को नहीं चुनेंगी। दोबारा बायोलॉजी का पेपर देने की बजाय वह सीधे मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करके एमबीबीएस में दाखिला लेंगी।

पढ़ाई को गंभीरता से लेने वाला ही करेगा बेहतर स्कोर

भव्या का कहना है स्कूल में टीचर की बात गौर से सुनने वाला। घर आकर रिविजन करने वाला बेहतर स्कोर करेगा। तमाम ऐसे स्टूडेंट्स होते हैं जो कि पढ़ाई में तो अच्छे होते हैं लेकिन गंभीरता से तैयारी नहीं करते। लिहाजा, उन्होंने गंभीरता और मेहनत को सफलता का मूलमंत्र बताया।

कोरोना की वजह से अब भी असमंजस

भव्या को कोरोना संक्रमण की वजह से अब भी परीक्षाओं को लेकर असमंजस है। सितंबर में नीट की परीक्षा होनी है। लेकिन, दो बार पहले यह परीक्षा स्थगित की जा चुकी है। अब वह नई तिथि के हिसाब से तैयारी तो कर रही हैं लेकिन कोरोना को लेकर परेशान हैं।

स्कोर कार्ड

इंगलिश-99

मैथ्स-100

फिजिक्स-100

बायोलॉजी-100

इंजीनियर बनना चाहती है ईशान्वी

आईएससी 12वीं के नतीजों में 99 प्रतिशत अंकों के साथ दूसरे स्थान पर रहने वाली ब्राइटलैंड की छात्रा ईशान्वी मोहन इंजीनियर बनना चाहती है। इन दिनों वह इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेन की तैयारी में जुटी हैं।

ईशान्वी के पिता डॉ. धनंजय मोहन भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक हैं। जबकि मां नीलम मोहन शिक्षिका हैं। ईशान्वी शुरू से पढ़ाई के साथ अपने शौक पूरे करती रही हैं। 10वीं में उन्होंने 98.25 प्रतिशत अंकों के साथ टॉप किया था।

ईशान्वी ने इसके बाद फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स की राह चुनी। उसे इस बात की खुशी है कि 11 मार्च तक यानी कोरोना लॉकडाउन से पहले ही उनके परीक्षाएं हो गई थीं। उन्होंने एग्जाम से तीन माह पहले जमकर पढ़ाई की। स्कूल की रेगुलर छात्रा ईशान्वी का फोकस अच्छे मार्क्स लाने पर था। उन्होंने दूसरा स्थान पाने पर खुशी जताई।

रिविजन पर फोकस रखें

ईशान्वी का कहना है कि जो भी छात्र बोर्ड की तैयारी कर रहे हैं, वह शुरू से रिविजन पर फोकस करें। यानी स्कूल में जो पढ़ाया जाए, उसे घर आकर खुद जरूर पढ़ लें। जब जो विषय पढ़ने का मन हो, उसे ही पढ़ें। जबर्दस्ती तनाव में आकर पढ़ाई न करें।

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