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बिजली मंत्रालय का दावा- हालात बेहतर हो रहे, पड़ताल में पाया- 15 पावर प्लांट में कोयले का एक दिन का भी रिजर्व नहीं

नई दिल्ली: देश में कोयले की कमी की वजह से जारी बिजली संकट पर सरकार और विपक्ष के बीच बयानों के तीर चल रहे हैं. इस बीच बिजली मंत्रालय ने दावा किया है कि कोयले की कमी के चलते बिजली उत्पादन में जो कमी आई थी, उसकी काफी हद तक भरपाई कर ली गई है. लेकिन सरकारी वेबसाइट पर दिए आंकड़े बता रहे हैं कि अभी भी संकट गंभीर है.

हकीकत यह है कि देश के कई बिजली उत्पादन संयंत्रों में आज रोज कुआं खोदो और पानी पीयो जैसी स्थिति है. यानी इन पावर प्लांट्स में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा है. रोजाना हो रही कोयले की आपूर्ति से ही इनका काम चल रहा है.

15 संयंत्रों में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के वेबसाइट पर 11 अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक देश के 15 विद्युत उत्पादन संयंत्रों में एक दिन का भी रिजर्व कोयला नहीं बचा है. इनमें उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 3-3 जबकि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के 2-2 संयंत्र शामिल हैं.

एक दिन भी आपूर्ति में रुकी तो उत्पादन बंद
राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और झारखंड के 1-1 संयंत्र भी कोयले की इस कमी से जूझ रहे हैं. इन 15 संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 15290 मेगावाट है. इसका मतलब ये हुआ कि अगर इन संयंत्रों में एक दिन भी कोयले की आपूर्ति में रुकावट या कमी आयी तो इनमें उत्पादन बंद हो जाएगा. औसतन इन संयंत्रों में 20 दिन से ज़्यादा का रिजर्व स्टॉक रखा जाता है.

कई और प्लांट्स की हालत भी तकरीबन ऐसी ही
कोयले की किल्लत से देश के ज्यादातर हिस्सों से अंधेरे में डूब जाने का अंदेशा बना हुआ है. अगर 15 पावर प्लांट रोज सप्लाई होने वाले कोयले की वजह से चल रहे हैं तो कई और प्लांट्स की हालत भी तकरीबन ऐसी ही है.

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के मुताबिक 35360 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाले कुल 27 संयंत्रों में महज एक दिन का रिजर्व स्टॉक बचा है.वहीं 20 संयंत्र ऐसे हैं जिनमें महज 2 दिनों और 21 संयंत्रों में महज 3 दिनों का स्टॉक बचा है. इन संयंत्रों की कुल उत्पादन क्षमता 49769 मेगावाट है. इसके अलावा 20 संयंत्रों में 4 दिन , 5 संयंत्रों में 5 दिन और 8 संयंत्रों में 6 दिनों का रिजर्व कोयला बचा है.

मांग के मुताबिक़ नहीं हो पा रही आपूर्ति
रिजर्व स्टॉक का कम होना चिंता की बात है लेकिन उससे भी ज़्यादा चिंता की बात ये है कि इन प्लांटों को रोज़ाना मिलने वाले कोयले की आपूर्ति भी मांग के मुताबिक़ नहीं हो पा रही है. इन 15 प्लांटों में केवल 6 प्लांट ऐसे हैं जिनमें कोयले की आपूर्ति मांग से ज़्यादा थी.

बिजली मंत्रालय का दावा- हालात बेहतर हो रहे
कोयले की सप्लाई में कमी और देरी बड़े संकट की तरफ इशारा कर रहे हैं लेकिन बिजली मंत्रालय की माने तो हालात बेहतर हो रहे हैं. बिजली मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोयले की कमी के चलते बिजली उत्पादन में जो कमी आई थी वो 11000 मेगावाट से घटकर अब 6000 मेगावाट रह गई है.

बिजली मंत्रालय का ये बयान पीएम मोदी के साथ बिजली और कोयला मंत्री की मुलाकात के बाद सामने आया है. दोनों मंत्रियों ने मिलकर पीएम को हालात की जानकारी दी और भरोसा जताया कि हफ्ते भर में सामान्य स्थिति बहाल कर दी जाएगी.

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