खास रिपोर्ट

पूरी दुनिया भारतीय युवा प्रतिभा की ओर टकटकी लगाए हुए है :- डॉ पी के सिन्हा

Anil Makwana

रुची झा

राष्ट्र सृजन अभियान के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं अंतर्राष्ट्रीय चिंतक व विचारक डॉ प्रद्युम्न कुमार सिन्हा ने कहा आज विश्व के निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन के साथ-साथ सरकारी स्तर पर भी विशेष अभियान चलाया जाना बहुत जरूरी है । भारत के चालू वित्तीय वर्ष 20-21 में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण विकास दर में जोरदार गिरावट हुई। लेकिन आगामी वित्त वर्ष 21-22 में देश की विकास दर में तेजी दिखाई देगा, ऐसे में भारत में रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी। भारत के मानव संसाधन शोध संस्थान का कहना है कि कोविड-19 की चुनौती से भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में शीघ्रता पूर्वक बाहर निकलती दिखेगी । जिसका परिणाम रोजगार के अवसर को अधिक से अधिक पैदा करना होगा । एक सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन समाप्त होने के बाद कोरोना काल के बीच भारत में जुलाई से सितंबर की तिमाही में 5 सेक्टरों में जैसे खाद्यान्न, निर्माण, वित्त, बीमा एवं रियल स्टेट में नौकरियों के नए नए रास्ते खुलेंगे । भारत के चार महानगरों दिल्ली, मुंबई चेन्नई, और कोलकाता को छोड़कर मेट्रो के रूप में उभरते शहरों जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, चंडीगढ़, कोच्चि, कोयंबटूर आदि शहरों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इन शहरों में स्वास्थ्य, फार्मा, ई-कॉमर्स, FMCG (फास्ट मूविंग कंज्यूमरस गुड्स), कृषि, एग्रो केमिकल्स, ऑटोमोबाइल्स, BPO सेवाएं, निर्माण, रियल एस्टेट एवं ऊर्जा क्षेत्रों में रोजगार का अवसर तेजी से बढ़ेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियानके तहत किए गए आर्थिक पैकेज से देश में उद्योग, कारोबार क्षेत्र को जो लाभ मिलेगा उससे निश्चित ही रोजगार के नित नए अवसर बढ़ेंगे ।
डॉक्टर सिन्हा ने कहा वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद आने वाले वर्षों में विश्व के कई देशों में अर्थव्यवस्थाओं को संभालने के लिए प्रशिक्षित एवं कुशल युवा हाथों की कमी होने वाली है। मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्नफेरी के रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां दुनिया में 2030 तक प्रशिक्षित कुशल श्रमबल का संकट होगा वहीं भारत जैसे युवा देश के पास 4.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल बल का संसाधन उपलब्ध होगा। साल 2030 तक दुनिया के 19 विकसित एवं कई विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल प्रशिक्षित श्रम शक्ति की कमी होगी । ऐसे में भारत इकलौता ऐसा देश होगा जिसके पास 2030 तक जरूरत से ज्यादा कुशल प्रशिक्षित श्रमबल होगा । भारत दुनिया का एकमात्र देश होगा जो अपने कुशल प्रशिक्षित एवं प्रतिभावान युवा को दूसरे देश में भेजकर फायदा उठा सकेगा।
डॉ सिन्हा ने बताया निजी सेक्टर में रोजगार हेतु भविष्य उज्जवल है लेकिन इसमें सरकार की जिम्मेदारी कम नहीं हो जाती ऐसी स्थिति में सरकार एवं निजी कंपनियों को आपस में मिल जुलकर देश के युवाओं में एक अभियान चलाकर रोजगार देने के लिए संकल्पित होने की जरूरत है।

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