SCने कहा-यौन उत्पीड़न पीड़िताओं के प्रति अदालतों के लिए संवेदनशील बने रहना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी अदालतों के लिए यह जरूरी है कि वे यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को लगे सदमे, उनकी सामाजिक शर्मिंदगी और अवांछित कलंक के प्रति संवेदनशील बने रहें। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अदालतें साथ ही यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाने की प्रक्रिया पीड़िता के लिए कष्टदायक नहीं रहे। न्यायालय ने कहा कि विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां पुलिस इस तरह के यौन अपराध की शिकायतों का समाधान करने में नाकाम रहती है, अदालतों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है और निचली अदालतों को यथासंभव एक ही बैठक में जिरह पूरी करनी चाहिए। पुलिस शिकायतकर्ता के लिए भय मुक्त माहौल बनाने की कोशिश करे।
न्यायालय ने कहा, अदालतों को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करनी चाहिए कि कथित अपराधकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाना पीड़िता के लिए दुष्कर नहीं हो। पीड़िता को महज एक शिकायत दर्ज कराने और विशेष रूप से प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की जांच शुरू कराने के लिए यहां-वहां दौड़ नहीं लगानी पड़े। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने अपने हालिया फैसले में इस संबंध में निचली अदालतों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिये हैं। पीठ ने कहा कि यह निचली अदालतों का दायित्व है कि वे अपने समक्ष पीड़ित व्यक्ति से उपयुक्त व्यवहार करे। पीठ ने कहा, ‘हम एक बार फिर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने में अदालतों के संवेदनशील बने रहने के महत्व को दोहराते हैं।