उत्तराखंड

ऋषिगंगा पर बनी झील से रिसाव शुरू, राहत; ऐसे चला था झील का पता

देहरादून। ऋषिगंगा कैचमेंट क्षेत्र से निकली तबाही के बाद राहत व बचाव कार्य में लगी मशीनरी तब सकते में आ गई थी, जब यह पता चला कि ऋषिगंगा नदी पर एक और झील बनने लगी है। यह झील वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने गुरुवार को किए गए हेलीकॉप्टर सर्वे में देखी थी। अब राहत की बात यह है कि झील से पानी का रिसाव होने लगा है। शुक्रवार को दोबारा कराए गए हेलीकॉप्टर सर्वे में रिसाव की पुष्टि की गई। विज्ञानियों का अनुमान है कि झील में जमा पानी की स्थिति एक-दो दिन में सामान्य हो जाएगी।

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं के मुताबिक झील की लंबाई करीब 200 मीटर होने का अनुमान लगाया गया है। यह रैणी गांव से करीब नौ किलोमीटर ऊपर और पचली गांव के पास बनी है। यहां ऋषिगंगा नदी पर मलबा जमा होने से पानी का बहाव बाधित हो गया था, जिसके चलते झील का निर्माण होने लगा था।

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मलबा ताजा था, लिहाजा उम्मीद थी कि पानी का जमाव सामान्य से अधिक होने पर यह स्वत: टूट जाएगी। गुरुवार तक झील से रिसाव नहीं हो रहा था। मगर, शुक्रवार तक मलबे का कुछ भाग खिसक गया और झील से पानी का रिसाव होने लगा। अब झील से चिंता जैसी कोई बात नहीं है। फिर भी सभी एजेंसियों से आग्रह किया गया है कि वह झील के आकार पर निरंतर नजर रखें। वाडिया संस्थान के विज्ञानी भी रिमोट सेंसिंग के माध्यम से झील की स्थिति पर निगाह बनाए हैं।

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