प्लाज्मा दान :फैजल ने पहले खुद कोरोना को हराया, अब अपनी एंटीबॉडी से दूसरों की बचा रहे जान, तीसरी बार डोनेट करेेंगे प्लाज्मा, अब तक 46 लोग कर चुके हैं दान
सूरत। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थैरेपी से भी इलाज दिया जा रहा है। कोरोनावायरस से ठीक हो चुके लोग दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए आगे आ रहे हैं। इन्हीं में शामिल हैं फैजल चुनारा। फैजल सिविल अस्पताल में दो बार प्लाज्मा दान कर चुके हैं। उन्होंने 15 दिनों के बाद तीसरी बार प्लाज्मा दान करने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने सिविल में रजिस्ट्रेशन करा लिया है।
सूरत में अब तक 46 लोग प्लाज्मा दान कर चुके हैं। इनमें न्यू सिविल में 25 और स्मीमेर अस्पताल में 21 प्लाज्मा डोनेशन किया गया है। सिविल अस्पताल के मेडिसिन विभाग की 27 वर्षीय डॉ. श्वेता राजकुमार ने भी प्लाज्मा दान किया है। अभी भी बड़ी संख्या में कोरोना से मुक्त हो चुके लोग सिविल और स्मीमेर अस्पतालों के प्लाज्मा बैंक में रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। प्रशासन ने सभी दाताओं को सिविल-स्मीमेर अस्पताल प्लाज्मा दान के माध्यम से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भाग लेने वालों को बधाई दी है। अब तक दो बार प्लाज्मा का दान कर चुके फैजल चुनारा का कहना है कि चूंकि अब मेरे शरीर में कोरोना को हराने की ताकत विकसित हो चुकी है, जिसे प्लाज्मा के रूप में दान कर रहा हूं।
कोरोना से ठीक होने के 28 दिन बाद कर सकते हैं प्लाज्मा दान
कोरोना से ठीक हो चुका एक स्वस्थ व्यक्ति 28 दिनों के बाद अन्य अपना प्लाज्मा दान कर सकता है। 18 और 60 की उम्र के बीच, जिनका वजन 55 किलो या उससे अधिक है। एेसे लोग जिन्होंने हाल ही में कोविड-19 को हराकर अस्पताल से छुट्टी के बाद 28 दिनों के भीतर स्वस्थ्य हो गए हैं। जिन्हें मधुमेह, हृदय रोग या अन्य गंभीर बीमारियां नहीं हैं, वे प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
रक्तदान जैसा ही होता है प्लाज्मा दान, डरें नहीं
प्लाज्मा दान रक्तदान जैसा ही होता है। एक डिस्पोजेबल स्टेराइल किट का उपयोग करके एफेरेसिस मशीन से प्लाज्मा लिया जाता है। मशीन में रक्त कोशिकाओं को तरल भाग से अलग किया जाता है और वापस दाता के शरीर में डाला जाता है। इस तरह एक बार में 500 मिली प्लाज्मा लिया जा सकता है। प्रक्रिया सरल और सुरक्षित है।