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मेरा मानना है दुनिया में विश्वास ही सब से बड़ा जीने का प्रतीक है: झास बे आस

मोहाली (रोहित): मेरी माँ में मुझे मेरा रब नज़र आता है हमेशा मेरी हर ख्वाहिश हर ज़िद को पूरा करने वाली माँ रब का चेहरा होती है । यह कहना है मशहूर कवि जतिंदर सिंह (झास) का । उन्हों ने आज अपनी दिल को छू लेने वाली कविताओं से भरी पुस्तक ” दुखां दी किताब ” के विमोचन के समय कही उन्हों ने कहा कि एक कवि समाज का आईना होता है और समाज के हित और सामाजिक बुराइयों को सामने रख अपनी कविताओं को शब्दों में बुनता है। कवि झास बे आस ने इस मौके कहा कि मेरी किताब लोगों के दिलों को छुएगी । उन्हों ने कहा कि किसानों की परेशानियों को सामने रखते हुए किसान के हर दुख को मैं ने जनता के सामने लाने की कोशिश की है। उन्हों ने कहा कि 2 साल में मैं ने यह किताब पूरी की है और मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है कि मोहाली की आर्केडिया इंटरनेशनल पब्लिकेशन ने मेहनत से इस किताब को डिज़ाइन किया है और मेरे शब्दों को एक खूबसूरत किताब की शक्ल दी है।
झास बे आस ने इस मौके बताया कि वो प्रसिद्ध कवि शिव कुमार बटालवी की शायरी से प्रेरणा ले कर समाज की त्रुटियों को शब्दों में प्रोना शुरू किया था यह किताब में शिव कुमार बटालवी को समर्पित करता हूँ।

उन्हों ने कहा कि मेरी यह किताब पंजाबी भाषा में है। जो लोगों की समस्यायों और सामाजिक दूरियों के बारे में बताती है। इस किताब का हर शब्द इंसानियत को तार- तार करने वाले आसामाजिक रिश्तों को दर्शाता है। यह किताब आपसी भाई चारे और महुबत का एक पैगाम भी है। यह किताब नहीं मेरी ज़िंदगी है और दूसरों के लिए अच्छी ज़िंदगी अपनों से प्यार आपसी महुबत का सबक देती है।

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