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संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू, विपक्ष की सरकार को घेरने की तैयारी

नई दिल्ली I कोरोना संक्रमण के बीच संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो रहा है. 18 दिनों तक चलने वाले संसद सत्र के दौरान विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी की है. विपक्ष कोरोना संकट से लेकर देश की गिरती अर्थव्यवस्था, भारत-चीन सीमा तनाव, बेरोजगारी, जीएसटी में राज्यों की हिस्सेदारी सहित किसानों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेगा. वहीं, किसान संगठन संसद से बाहर सड़क पर सरकार को घेरने के लिए जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे.

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तो यहां तक कह दिया है कि वह सदन में पेश किए जाने वाले 11 विधेयकों में से 4 का विरोध करेगी. कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा है कि उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष की चिंताओं पर जवाब देंगे. लोकसभा की बिजनेस अडवाइजरी कमिटी की मीटिंग रविवार को हुई, जिसमें विपक्ष ने भारत-चीन गतिरोध, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, जैसे मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने की मांग रखी है.

बता दें कि साल 2017 में देश की सुरक्षा का हवाला देकर मोदी सरकार ने डोकलाम पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया था. मार्च के महीने में लॉकडाउन के ऐलान के कुछ दिन पहले ही संसद का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. इस साल जून के महीने में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. ऐसे में विपक्ष ये मुद्दा इस बार के सत्र में जोरशोर से उठाने की तैयारी में है.

राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस ने अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर फैसला किया है कि संसद के दोनों सदनों में तीन कृषि-संबंधी विधेयकों और बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक का कड़ा विरोध किया जाएगा. रमेश ने आरोप लगाया कि कृषि संबंधी विधेयकों से सरकार एमएसपी और सार्वजनिक खरीद को कमजोर करना चाहती है. उन्होंने कहा कि कृषि संबंधी तीनों विधेयक खेती-किसानी को बर्बाद करने वाले हैं

उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने इन विधेयकों को लेकर राज्य सरकारों से चर्चा तक नहीं की. इन विधेयकों को लेकर कई मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है और पंजाब विधानसभा में तो इसके खिलाफ प्रस्ताव तक पारित हो चुका है. जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी दल मॉनसून सत्र में कोरोना महामारी के दौरान हुए मिसमैनेजमेंट, देश की अर्थव्यवस्था और लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) चीन की आक्रामकता को लेकर भी मोदी सरकार से स्पष्टीकरण मांगेंगे.

उन्होंने कहा कि हम बेरोजगारी, गरीबी, एमएसएमई, व्यापार इत्यादि पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री राज्यसभा और लोकसभा में रहेंगे. हालांकि, संसद सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि वह सदन में उपस्थित रहें और विपक्ष की सवालों का जवाब दें.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पार्टी ने सीमा पर स्थिति और चीनी आक्रामकता के अलावा महामारी, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी को लेकर चर्चा कराने की मांग की है, लेकिन सरकार से अब तक कोई आश्वासन नहीं मिला है. चौधरी ने कहा, ‘हमने सरकार से आग्रह किया है कि संसद में हमारी आवाज सुननी चाहिए.’ शिवसेना नेता संजय राउत ने भी मांग की है कि चीन के साथ गतिरोध, कोविड-19 महामारी, जीएसटी भुगतान और बेरोजगारी पर चर्चा होनी चाहिए.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि संसद का सत्र कोरोना संक्रमण की अजीब स्थिति में शुरू देश के लोगों के साथ ही सांसदों में भी डर का माहौल है. देश और दुनिया में स्थिति बदल रही है, और इस पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने आगे कहा, ‘भारत-चीन लद्दाख में आमने-सामने हैं और वहां तनाव है, कोरोना, जीडीपी की हालत खराब है, मुद्रास्फीति है, नई शिक्षा नीति सहित कई मुद्दे सदन के सामने हैं, जिनके बारे में देश के लोग सुनना चाहते हैं और सांसद चर्चा करना चाहते हैं.”

वहीं, संसद में विपक्ष के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए मोदी सरकार ने भी रणनीति बना रखी है. हाल ही में सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक कदमों के बारे में जानकारी रखेगी. इसमें 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज सहित किसानों, रेहड़ी पटरी वालों आदि के लिए किए गए कदम शामिल हैं. पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें सदन के अंदर विपक्ष के जवाबों को देने के लिए रणनीति बनाई गई है.

माना जा रहा है कि मानसून सत्र में केंद्र सरकार विपक्ष की कई मांगों पर चर्चा को तैयार है. सरकार कोरोना महामारी के बाद उपजे देशव्यापी हालात, अर्थव्यवस्था, देश में बाढ़ की स्थिति, चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद जैसे मसलों पर संसद में चर्चा के लिए तैयार है.

कोरोना संक्रमण के चलते सदन में स्वास्थ्य सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए गए हैं. केंद्र सरकार की गाइडलाइंस और विशेषज्ञ संस्थानों के सुझावों का पालन करते हुए सभी स्थानों पर सैनिटाइजेशन व अन्य व्यवस्थाएं सही रहें, यह सुनिश्चित किया गया है.

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