उत्तराखंड

गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने से फिर गरमाई उत्तराखंड की सियासत , अब उठ रहा यह सवाल

पिथौरागढ़. उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के पहले से ही गैरसैंण प्रदेश की जन भावनाओं का केंद्र बन चुका था. यही वजह थी कि राज्य की आंदोलनकारी ताकतों ने इसे वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की याद में चंद्रनगर नाम से राजधानी बनाने का ऐलान कर दिया था. लेकिन, 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून बन गई, तभी से सूबे की सियासत राजधानी के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखाई दे रही है. लेकिन देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाने का विरोध भी शुरू से ही व्यापक स्तर पर हुआ है.

ऐसे में बढ़ते जन दबाव से बचने के लिए अंतरिम सरकार के मुखिया नित्यानंद स्वामी ने दीक्षित आयोग का गठन किया था. बाद के सालों में स्थाई सरकारों ने इस आयोग के कार्यकाल को आगे बढ़ाने में खासी रुचि दिखाई. नतीजा ये रहा कि पूरे 11 सालों तक दीक्षित आयोग काम करता रहा. एक दशक से भी अधिक समय तक काम करने वाले आयोग की रिपोर्ट पर कभी भी सदन में चर्चा तक नहीं हुई. आखिरकार 2013 में विजय बहुगुणा के कार्यकाल में गैरसैंण फिर चर्चाओं के केंद्र में आया. कांग्रेस की बहुगुणा सरकार ने पहली बार यहां विधानसभा सत्र आयोजित करने के साथ ही विधानसभा भवन की नींव रखी. अब जब वर्तमान भाजपा सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया है तो फिर से सूबे की सियासत इसी के इर्द-गिर्द केंद्रित नजर आ रही.

मान रहे पैसे की बर्बादी

पूर्व सीएम हरीश रावत ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को इस फैसले के लिए बधाई तो दी है, लेकिन साथ ही सवाल किया है कि आखिर स्थाई राजधानी है कहां? जबकि इकलौता क्षेत्रीय दल यूकेडी इस फैसले के खिलाफ लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर उतरा है. फैसले पर विरोध जताते हुए यूकेडी के शीर्ष नेता और पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी कहते हैं कि सरकार ने वो किया है जिसकी मांग कभी की ही नहीं गई. गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का कदम पूरी तरह राज्य आंदोलन की भावना के खिलाफ है. साथ ही ऐरी भाजपा सरकार से सीधा सवाल कर ये भी पूछ रहे हैं कि आखिर उत्तराखंड की स्थाई राजधानी है कहां? जानकार भी 13 जिलों के छोटे से उत्तराखंड में दो राजधानियों को पैसे की बर्बादी मान रहे हैं. हालांकि, भाजपा से जुड़े राज्य आंदोलनकारी महेंद्र लुंठी को उम्मीद है कि ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने से गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का रास्ता तैयार होगा.

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