इस साल नहीं होगी कांवड़ यात्रा, उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बनी सहमति
लखनऊ. कोरोना महामारी का असर इस बार कांवड़ यात्रा पर भी पड़ा है. शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांवड़ यात्रा पर बातचीत की. इनकी बातचीत में यह तय हुआ कि इस बार इस यात्रा को रोक दिया जाए. इस फैसले की जानकारी उत्तराखंड मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दफ्तर से दी गई.
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री से भी इस संबंध में बात हुई है. उनके द्वारा भी कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए गम्भीरता से विचार करते हुए निर्णय लेने को कहा गया है. मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.
मुख्यमंत्रियों की इस चर्चा में तय हुआ कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि लोगों की भीड़ इकट्ठी न होने पाए. हालांकि, स्थानीय स्तर पर निर्धारित गाइडलाइंस का पालन करते हुए लोग जलाभिषेक कर सकते हैं. जल्द ही इस सबंध में राजस्थान, दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ भी चर्चा होने की संभावना है.
कांवड़ संगठनों ने भी की थी यात्रा रोकने की मांग
इस बीच मेरठ से भी कांवड़ यात्रा को लेकर बड़ी खबर आई है. मेरठ जोन के आईजी प्रवीण कुमार ने कहा कि मेरठ के कांवड़ संगठनों ने हमें सूचित किया है कि वे इस वर्ष कोरोना महामारी फैलने और सरकार के दिशा-निर्देशों के मद्देनजर कोई यात्रा नहीं करेंगे और वे अपने घरों में त्योहार मनाएंगे. पुलिस प्रशासन का दावा है कि मेरठ की कांवड़ समितियों ने यात्रा नहीं निकाले जाने का अनुरोध किया है. उन्होंने इस संबंध में आला अधिकारियों को पत्र लिखा है.
मेरठ पुलिस प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट सरकार और उत्तराखंड प्रशासन को भेजी है. कांवड़ समितियों के पदाधिकारी हरिद्वार से कांवड़ नहीं लाने को लेकर गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं. वहीं जिम्मेदार लोग व धर्मगुरुओं ने भी पुलिस प्रशासन से यात्रा पर रोक लगाए जाने की अपील की है. गौरतलब है कि हरिद्वार से कांवड़ लाने के लिए यूपी, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत कई राज्यों से लोग जाते हैं. इसको देखते हुए सभी राज्यों ने उत्तराखंड प्रशासन को रिपोर्ट भेजी है. वहीं यात्रा को लेकर उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल के अधिकारियों की डेढ़ माह पहले होने वाली बैठक अभी तक नहीं हुई है.
यूपी और दिल्ली समेत इन राज्यों में रहता है क्रेज
हर साल सावन के महीने में कावंड़ यात्रा का दौर शुरू होता है, जिसमें दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों से लाखों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार पहुंचते हैं. जब वह हरिद्वार से गंगाजल कांवड़ में लेकर पैदल ही अपने गंतव्यों की ओर निकलते हैं, तो उनका सड़कों के किनारे जगह जगह पर रुकने का इंतजाम होता है, जिसमें मेरठ के कावंड़ संगठन बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कहर से हर कोई ऐहतियात बरत रहा है और सरकार के दिशा- निर्देशों का पालन करने की बात कर रहा है. यात्रा में हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गंगोत्री और गोमुख से कांवड़िए गंगाजल लेकर अपने गंतव्य को जाते हैं. इसमें उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा के भक्त रहते हैं. यात्रा से पश्चिमी यूपी के जिलों में सबसे ज्यादा आवागमन प्रभावित होता है. 10 दिन पहले दिल्ली से हरिद्वार तक हाईवे वनवे कर दिया जाता है. यही नहीं, कावंड़ यात्रा के दौरान यूपी पुलिस को भी काफी सावधानी बरतनी होती है, ताकि किसी कांवड़िये को कोई दिक्कत न हो.