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वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली आरबीआई पॉलिसी, जानें नीतिगत दरों में कटौती पर कैसा रह सकता है केंद्रीय बैंक का रुख

नई दिल्‍ली. भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5 अप्रैल 2021 को शुरू हुई थी, जो आज यानी 7 अप्रैल 2021 को खत्‍म हो जाएगी. इसके बाद वित्‍त वर्ष 2021-22 की पहली आरबीआई पॉलिसी पेश की जाएगी. देखना ये है कि कोरोना वायरस के पॉजिटिव केसेस में आई तेजी के बीच देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए केंद्रीय बैंक क्‍या फैसले लेता है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि खुदरा महंगाई और नीतिगत दरों में कटौती को लेकर रिजर्व बैंक का नजरिया कैसा रह सकता है?

आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाना रहेगी सर्वोच्‍च प्राथमिकता
कोरोना महामारी की दूसरी लहर आर्थिक वृद्धि के लिए चुनौतियां पेश कर रही है. वहीं, सरकारी उधारी और बढ़ता बॉन्‍ड यील्‍ड भी आरबीआई के लिए बड़ी चुनौती है. फरवरी में ईंधन महंगाई (Fuel Inflation) 6.94 फीसदी पर रही थी. इसी तरह मुख्‍य महंगाई दर भी 5.36 फीसदी के स्तर पर रही थी. ये दोनों आकंड़े 2 साल के शीर्ष पर रहे थे. जानकारों का कहना है कि केंद्रीय बैंक के लिए आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को बढ़ाना सर्वोच्‍च प्राथमिकता रहेगी. ऐसे में ब्याज दरों में कटौती (Rate Cut) की उम्मीद नहीं की जा सकती है. बता दें कि फिलहाल रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी और रेपो रेट 4 फीसदी पर है. वहीं, 27 मार्च 2021 से सीआरआर 3 फीसदी से बढ़कर 3.5 फीसदी कर दिया गया है.

सितंबर तक खुदरा महंगाई पहुंच सकती है 5.2 फीसदी

एक्सिस बैंक के सौगत भट्टाचार्य का कहना है कि दरों में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं है. हालांकि, गाइडेंस पिछली बार से थोड़ा नरम रहने का अनुमान है. अप्रैल-सितंबर 2021 के दौरान खुदरा महंगाई 5-5.2 फीसदी के बीच रह सकती है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन होने पर नीतिगत दरों में कटौती की उम्‍मीद की जा सकती है. बैंक ऑफ अमेरिका के जयेश मेहता का कहना है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर से बॉन्‍ड यील्‍ड में थोड़ी नरमी आने की संभावना है. बॉन्‍ड यील्‍ड 10 साल के लिए 6-6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. लॉकडाउन में ग्रोथ गिरने पर इसमें गिरावट हो सकती है. आरबीआई के लिए ग्रोथ बढ़ाना प्राथमिकता होगी. बाजार चाहता है कि मैच्‍योरिटी रूल्‍स में 2024 तक छूट जारी रहे.

ग्रोथ अनुमान पहले से ही नीचे, कटौती जरूरत नहीं
क्रिसिल के डीके जोशी का कहना है कि दूसरी एजेंसियों ने भारत का ग्रोथ आउटलुक बढ़ाया है, लेकिन आरबीआई 10.5 फीसदी पर अपना अनुमान बरकरार रख सकता है. कोरोना की सेकेंड वेव की वजह से आरबीआई ग्रोथ अनुमान कम रख सकता है. आरबीआई सरकार की उधारी पर बॉन्‍ड मार्केट को भरोसा दिला सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि मार्च 2021 में ग्रोथ धीमी हुई है. इक्रा (ICRA) की अदिति नायर का कहना है कि आरबीआई शायद अगली दो पॉलिसी में गाइडेंस नरम रखेगा. सभी वयस्क को वैक्सीन मिलने तक आरबीआई नरम रुख रख सकता है. ग्रोथ अनुमान पहले से ही काफी नीचे है. इनमें कटौती की जरूरत नहीं है. कोटक महिंद्रा एएमसी की लक्ष्‍मी अय्यर का कहना है कि महंगाई को लेकर आरबीआई के अनुमान पर सबकी नजर होगी.

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