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अयोध्या जमीन घोटाले का A To Z: जानें कब किसने किससे खरीदी जमीन, आखिर मिनटों में कैसे करोड़ों के ‘चपत’ का खेल खेला गया

नई दिल्ली: अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित एक जमीन सौदे के विवाद ने राजनीति को गरमा दिया है. विपक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर कैसे जो जमीन खरीदी गई उसकी कीमत महज पंद्रह मिनट के भीतर दो करोड़ से 18.5 करोड़ हो गई. इस बीच जमीन को लेकर एक नया विवाद भी सामने आ गया है, जिसमें जमीन वक्फ बोर्ड का बताया जा रहा है. जमीन के असली मालिक के पुरखों की तरफ से इस जमीन को वक्फ बोर्ड को दिया गया. एबीपी न्यूज़ के पास इस जमीन से जुड़े कागज मौजूद हैं.

2011 में हुआ था एग्रीमेंट जिसे 2014 में रिन्यू करवाया गया
इस एंग्रीमेंट में विक्रेता के तौर पर बेचने वाले के नाम के आगे महबूब आलम, जावेद आलम, नूर आलम और फिरोज आलम लिखा है. खरीदने वालों की जगह पर कुसुम पाठक और हरीश पाठक का नाम लिखा है. 2014 में 2011 का ही एग्रीमेंट इन्हीं लोगों के बीच रिन्यू करवाया गया था. क्योंकि विवाद कोर्ट में होने की वजह से रजिस्ट्री नहीं हो पायी थी. 2017 में विवाद निपटारा होने के बाद कुसुम पाठक और हरीश पाठक के नाम पर रजिस्ट्री हुई. 2019 में दो करोड़ की कीमत पर फिर से जमीन बेचने की प्रक्रिया शुरू हुई. साल 2019 में कुसुम पाठक और हरीश पाठक का सुल्तान अंसारी समेत आठ लोगों के साथ रजिस्टर्ड एग्रीमेंट हुआ. जमीन की कीमत दो करोड़ लगाई जाती है.

एग्रीमेंट से आठ लोगों के नाम गायब, एक नया नाम जुड़ा
अब आता है, 2021 का साल जब इस जमीन की रजिस्ट्री फिर से होती है. इसी को लेकर आरोप है कि 15 मिनट में 16 करोड़ का चूना लग गया. कुसुम पाठक और हरीश पाठक ने यह जमीन बेची. खरीदने वाले हैं सुल्तान अंसारी और उनके साथ रवि मोहन तिवारी. एंग्रीमेंट के दौरान सुल्तान अंसारी के साथ लिखे आठ लोगों के नाम रजिस्ट्री के दौरान गायब हैं और रवि मोहन तिवारी का नया नाम डील से जुड़ जाता है. इस सौदे के दौरान जमीन की कीमत दो करोड़ रुपये हैं.

दोनों डील में गवाह एक, इसी पर विपक्ष उठा रहा सवाल
18 मार्च को 7 बजकर 10 मिनट पर इसकी रजिस्ट्री हुई, इस डील के गवाह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा बने. इस डील के ठीक 15 मिनट के बाद सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने इसी जमीन को बेचा. इसका खरीददार श्रा राम मंदिर ट्रस्ट है और जमीन की कीमत 18.5 करोड़ रुपये है. 18 मार्च को ही सात बजकर 25 मिनट पर यह रजिस्ट्री हुई और इसमें भी गवाह ऋषिकेश उपाध्याय और अनिल मिश्रा बने.

बस इन्हीं आखिरी दो सौदों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, ”ट्रस्ट के सम्मानित सदस्य और भारतीय जनता पार्टी के मेयर को मालूम था कि इस जमीन की कीमत दो करोड़ रुपये है. क्योंकि जमीन खरीदने के दौरान भी वो गवाह हैं और जमीन बेचे जाने के दौरान भी गवाह हैं.”

संजय सिंह के आरोपों पर चंपत राय ने दी सफाई
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस तरह के आरोपों से नहीं डरते. वह खुद पर लगे आरोपों का अध्ययन करेंगे. मीडिया को जारी एक संक्षिप्त बयान में राय ने कहा, “हम पर तो महात्मा गांधी की हत्या करने का आरोप भी लगाया गया था. हम आरोपों से नहीं घबराते. मैं इन आरोपों का अध्ययन और उनकी जांच करूंगा.”

राम मंदिर निर्माण के दूसरे चरण का कार्य दिसंबर में शुरू होगा
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के दूसरे चरण की शुरुआत दिसंबर में होगी और इस दौरान मंदिर का ढांचा खड़ा करने के लिए पत्थर लगाने का कार्य किया जाएगा. मंदिर के ट्रस्ट ने बीते हफ्ते यह जानकारी दी थी. राम मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, नींव भरने का कार्य अक्टूबर के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा और दिसंबर से निर्माण के दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी, जिसमें भव्य मंदिर का ढांचा तैयार करने के लिए पत्थर लगाने का कार्य किया जाएगा.

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