उत्तराखंड

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत फिर संतों की शरण में गए, आज करेंगे गंगा स्नान

हरिद्वार I पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बुधवार को हरिद्वार में रहेंगे। हरीश रावत गंगा स्नान करने के बाद अखाड़ों के संतों से मिलेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पेज से पोस्ट जारी कर हरिद्वार पहुंचने की जानकारी दी है।

हरीश रावत ने कहा कि 20 जनवरी को गंगा स्नान कर मां गंगा की आराधना करूंगा। उसके बाद अखाड़ों में भी जाऊंगा। हरदा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार हरिद्वार कुंभ की उपेक्षा कर रही है। इससे वो बहुत आहत हैं। सरकार की इस उपेक्षा के खिलाफ सशक्त होकर आवाज उठाएंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत फिर संतों की शरण में गए

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत एक बार फिर हरिद्वार में संतों की शरण में पहुंच रहे हैं। इस बार रावत संतों से कुंभ को लेकर बातचीत करेंगे। रावत आज हरिद्वार में संतों से बातचीत करेंगे।

उनके मुताबिक वे संतों से कुंभ को लेकर बातचीत करेंगे। रावत के मुताबिक प्रदेश सरकार कुंभ के आयोजन को गंभीरता से नहीं ले रही है। राज्य को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह पहली बार नहीं है कि हरीश रावत संतों से मिलने हरिद्वार जा रहे हैं।

इससे पहले भी वे हर की पैड़ी से होकर बह रही गंगा की धारा को एस्केप चैनल घोषित करने पर संतों से मिलकर माफी मांग आए थे। हरीश रावत के इस माफीनामे का असर यह हुआ कि सरकार को अलग-अलग आदेश जारी करने पड़े और अब भी सरकार उस विवाद का पूरी तरह हल नहीं कर पाई है।

हरीश रावत के कार्यकाल में देवप्रयाग तक का क्षेत्र मेला क्षेत्र घोषित किया गया था। इस समय सरकार ऐसा करने के मूड में नहीं है। सरकार मेले को कोरोना संक्रमण को देखते हुए सीमित रखना चाह रही है और हरीश रावत लगातार मेले को व्यापक स्तर पर आयोजित करने पर जोर दे रहे हैं। दूसरी ओर, संतों को मनाने में भी सरकार को खासा पसीना बहाना पड़ रहा है। ऐसे में इस बार भी हरीश रावत का संतों की शरण में जाना प्रदेश सरकार के लिए एक और चुनौती खड़ी कर सकता है।

बजट सत्र गैरसैंण में आयोजित करना सिर्फ दिखावा: प्रीतम सिंह

कांग्रेस का कहना है कि चुनाव को देखते हुए सिर्फ लोगों की भावनाओं को भुनाने के लिए सरकार ने गैरसैंण में सत्र आयोजित करने का फैसला लिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के मुताबिक सरकार की मंशा साफ होती तो गैरसैंण से गर्मियों में राजधानी का संचालन किया जाता। प्रीतम के अनुसार मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था, लेकिन सरकार ग्रीष्मकाल में एक बार भी गैरसैंण से राजधानी का संचालन नहीं कर पाई।

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