संसद में कैसे वापस होगा कृषि कानून? जानें क्या है वैधानिक प्रकिया और पूरा तरीका
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के खास मौके पर पिछले एक साल से विवादों में रहे तीनों कृषि कानून को वापस ले लिया है. हालांकि किसानों ने अभी भी आंदोलन जारी रखने की धमकी दी है. किसान नेताओं का कहना है कि जब तक संसद में कानून वापस नहीं हो जाता तब तक वह आंदोलन जारी रखेंगे. ऐसे में हर किसी के जेहन में एक सवाल उठ रहा है कि जो कानून संसद से ही पास हुआ उसे अब कैसे और कब वापस लिया जाएगा? कानून वापस लेने की क्या प्रक्रिया है?
भारत में किसी भी कानून को वापस लेने का क्या है तरीका?
भारत के संविधान में किसी भी कानून को वापस लेने के दो तरीके हैं. पहला अध्यादेश और दूसरा संसद से बिल पारित कराना. अगर किसी भी कानून को वापस लेने के लिए अध्यादेश लाया जाता है तो उसे 6 महीने के अंदर फिर से संसद में पारित करना जरूरी होता है. अगर किसी कारण से कोई अध्यादेश 6 महीने के अंदर संसद में पारित नहीं हो पाता तो निरस्त कानून फिर से प्रभावी रूप से लागू माना जाएगा.
भारत में कानून वापसी की क्या है प्रक्रिया?
संसद में पास किसी कानून को अगर संसद के जरिए ही वापस लिया जाना है सबसे पहले उस कानून से जुड़े मंत्रालय को संसद में कानून वापसी का प्रस्ताव रखना पड़ता है. इसके बाद वह प्रस्ताव कानून मंत्रालय के पास जाता है. कानून मंत्रालय किसी भी कानून को वापस लेने से जुड़ी कानूनी वैधानिकता की जांच करता है. कई बार कानून मंत्रालय उस कानून में कुछ जोड़ने या फिर घटाने की सिफारिश भी कर सकता है. कानून मंत्रालय से क्लियरेंस मिलने के बाद संबंधित मंत्रालय कानून वापसी के ड्राफ्ट के आधार पर एक बिल तैयार करता है और संसद में पेश करता है.
इसके बाद संसद के दोनों सदनों में किसी भी बिल की वापसी पर चर्चा होती है. इस दौरान कानून वापसी को लेकर दोनों ही सदनों में बहस या फिर वोटिंग भी कराई जा सकती है. अगर कानून वापसी के पक्ष में ज्यादा वोट पड़े तो सदन कानून वापसी का बिल पारित करेगा. एक ही बिल के जरिए तीनों कृषि कानून वापसी किया जा सकता है.