ब्लैक फंगस हो या व्हाइट फंगस, शुगर लेवल को काबू करना क्यों जरूरी है? जानिए
नागपुर: कोविड-19 से उबर चुके मरीजों में पिछले दो दिनों के दौरान ‘व्हाइट फंगस’ या कैंडिडिआसिस के 4 मामले सामने आए हैं. हालांकि, अभी ये संक्रमण के सिर्फ प्रमाणित मामले हैं, लेकिन वास्तविक संख्या ज्यादा भी हो सकती है. डॉक्टरों का कहना है चाहे ब्लैक फंगस हो या फिर व्हाइट फंगस, उनसे दूर रहने का सबसे अच्छा तरीका शुगर कंट्रोल है.
ब्लैक या व्हाइट फंगस संक्रमण में शुगर कंट्रोल जरूरी
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टर हिमांशु पाटिल कहते हैं, “डायबिटीज वाले लोगों का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है, इसका मतलब हुआ कि उन्हें पहले ही कोरोना वायरस की चपेट में आने का ज्यादा खतरा होता है. चूंकि कोविड-19 डायबिटीज वाले मरीजों पर बुरा प्रभाव डालती है, इसलिए ये खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. और फिर एक दवा स्ट्रेरॉयड जो इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकती है.”
ब्लैक और व्हाइट फंगस संक्रमण दोनों की वजह म्यूकॉरमाइसिटिस नामी फफूंद होते हैं, जो मिट्टी, पौधे और खाद में मौजूद होते हैं. कोरोना से उबरा हुआ मरीज जब सांस लेता है तो ये फंगस उसके साइनल कैविटी के साथ लंग्स में जाकर बैठ जाते हैं. हालांकि कोविड के बाद मरीजों को जिस तरह की परेशानी आ रही है, उसके लिए क्या ये फंगस ही जिम्मेदार हैं या स्टेरॉयड, इस संबंध में अभी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, व्हाइट फंगस संक्रमण ब्लैक फंगस की तरह स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाते हैं. संक्रमण लंग्स और शरीर के अन्य हिस्सों पर तीव्र प्रभाव डालता है. कई मरीजों में कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कोरोना की जांच में उनकी रिपोर्ट निगेटिव होती है. सीटी स्कैन से लंग की गंभीर क्षति का पता चलता है, लेकिन ये कोविड-19 के कारण नहीं होता है बल्कि व्हाइट फंगस वजह होता है जो कई अंगों के नुकसान की वजह बन सकता है.
डायबिटीज से पीड़ित कोविड के मरीजों को ज्यादा खतरा
अलेक्सिस हॉस्पिटल के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टर जयंत केलवड़े बताते हैं कि लोगों को ये संक्रमण कोविड-19 से ठीक होते वक्त या कोविड-19 के इलाज के दौरान होता है. समानता ये होती है कि सभी मरीज डायबिटीज के होते हैं. उन्होंने कहा, “आप कोविड संक्रमण के दौरान अपने शुगर को काबू कर इस संक्रमण से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, अधिक बार शुगर चेक करें, निरंतर मास्क पहनें और स्वच्छता का ख्याल रखें.
कोविड-19 के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल डॉक्टर की निगरानी में सावधानीपूर्वक और न्यायसंगत किया जाना चाहिए.” इम्यूनिटी की बहाली कोविड-19 के बाद मरीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि फंगस को इम्यूनिटी कमजोर होने करने का मौका मिल जाता है. डॉक्टर पाटिल आगे बताते हैं, “हालांकि, इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कोई रामबाण नहीं है, लेकिन अपने स्वास्थ्य को सुधारने के लिए रोजाना विकल्प चुन सकते हैं और इस तरह आपकी इम्यून सिस्टम में सुधार आ सकता है.” डॉक्टरों का ये भी सुझाव है कि साइनसाइटिस जैसे लक्षणों का अनुभव होने पर ईएनटी विशेषज्ञों से मिलना चाहिए.