उत्तराखंड

कुंभ पर निर्णय लेने को सीएम अधिकृत, अखाड़ों से बातचीत कर एसओपी और अधिसूचना पर लेंगे फैसला

देहरादून। Haridwar Kumbh 2021 उत्तराखंड में शुरू होने वाले महाकुंभ को लेकर मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया है। मुख्यमंत्री अखाड़ों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर यह तय करेंगे कि कुंभ का स्वरूप क्या होगा और इसकी अवधि कितनी रहेगी। प्रदेश में महाकुंभ की तैयारियां अंतिम रूप ले चुकी है। कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर केंद्र सरकार ने प्रदेश को कुंभ के आयोजन को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव को कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना जांच के लिए किए जाने वाले आरटीपीसीआर टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट लाना और इनका रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा मेले व स्नान के दौरान श्रद्धालुओं के बीच शारीरिक दूरी के मानकों का अनुपालन, प्रदर्शनी, मेले व प्रार्थना सभाओं में श्रद्धालुओं की संख्या को सीमित रखने को कहा गया है। साथ ही मेला क्षेत्र में आरटीपीसीआर टेस्ट को मोबाइल जांच लैब चलाने को कहा गया है।

केंद्र ने प्रदेश सरकार से प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की अधिकतम सीमा तय करने और मेले की अवधि को कम करने पर विचार करने को कहा। केंद्र सरकार द्वारा कुंभ आयोजन को लेकर जारी की गई सख्त गाइडलाइन से प्रदेश सरकार की पेशानी पर बल पड़ गए। विभागीय अधिकारियों से इन तमाम बिंदुओं पर बातचीत के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंत्रिपरिषद के साथ बैठक की इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई। इस दौरान यह बताया गया कि यदि बड़े स्नान के दिनों में दस लाख लोग भी प्रतिदिन आते हैं तो इन्हें ठहराने और स्नान कराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

कारण यह कि हरिद्वार के बीच किमी के दायरे में बने घाटों में एक घंटे में 10 से बारह हजार श्रद्धालुओं को मानकों के दायरे में रखकर स्नान कराया जा सकता है। ऐसे में यदि दिन के आठ घंटे भी स्नान होगा तो तकरीबन 10 लाख लोगों को स्नान कराया जा सकता है। इसी तरह हरिद्वार के होटल, धर्मशालाओं और अखाड़ों की क्षमता छह लाख व्यक्तियों को ठहराने की है। इसके अलावा कुंभ के दौरान जगह-जगह विशाल पंडाल भी लगाए जाते हैं। इनमें चार लाख लोगों को ठहराया जा सकता है। थोड़ी चुनौती स्वास्थ्य के क्षेत्र में जरूर है, जिसमें इतने लोगों का आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के साथ ही इनका रजिस्ट्रेशन कराना है।

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