रामनगर विधानसभा के 16 सौ वोटरों की आबादी वाले 24 वन ग्रामों के ग्रामीणों को आज तक मिला सिर्फ आश्वासन
रामनगर : आजादी के बाद भी जंगलों करीब और जंगलों में बसे ग्रामीण उपेक्षित हैं। राजनीतिक दलों की अनदेखी की वजह से लोग आज भी समाज की मुख्य धारा से कोसो दूर हैं। सत्ता की सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल होते आए वन ग्रामों के लोगों के समक्ष फिर से यह मुद्दा जोरशोर से उठेगा। इस बार भी राजनीतिक दल यहां के वांशिदों को आश्वासन की घुट्टी पिलाएंगे।
रामनगर विधानसभा के अंतर्गत 24 वन ग्राम हैं। इन गांव में करीब 16 सौ वोटर हैं। यहां के ग्रामीण आज भी राजस्व ग्राम के दर्जे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राजस्व का दर्जा नहीं होने से उन्हें उनके गांव में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंटरनेट की सुविधा तक नहीं मिल पाती है। हर चुनाव में नेता उन्हें सुविधाएं दिलानेे का आश्वासन तो देते हैं। लेकिन सत्ता में आने पर गांव में सुविधाएं देने के लिए कोई सकारात्मक कार्रवाई होती नहीं दिखती है।