आपदा में उजड़ गया चुकूम गांव, टेंट में रह रहे ग्रामीण, नेताओंं ने कहा था एक माह में कर देंगे पुनर्वास
रामनगर : इन दिनों राजनीतिक दलों के नेता चुनावी रंग में पूरी तरह रंगे हुए हैं। खुद को जनता का भाग्य विधाता बताकर उन्हें वादों के जाल में फंसाने की कोशिश खूब हो रही है। कभी खुद को जनता का हमदर्द बताकर उनसे मिलने को होड़ लगा चुके नेताओं को अब अपना किया वादा ही याद नहीं रहा। ऐसे में जनता नेताओं द्वारा किए गए विस्थापन व उचित मुआवजा दिए जाने के झूठे वादों पर अफसोस जता रही है।
रामनगर से 22 किलोमीटर दूर कोसी नदी व जंगल के बीच में बसे चुकूम गांव को पिछले साल 16 व 17 अक्टूबर को बाढ़ ने अपनी चपेट में लिया था। बाढ़ से गांव को काफी नुकसान पहुंचा। 40 ग्रामीणों के घर बह गए। खेत खलिहान बाढ़ में समा गए। बेघर हुए 40 प्रभावित परिवारों को प्रशासन द्वारा गांव में रहने के लिए टेंट दिए गए। आज भी ग्रामीण सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे टेंट में रहने को मजबूर हैं। आपदा के दर्द पर मरहम लगाने के लिए प्रशासनिक अमले के साथ ही सूबे के सतारूढ़ दल भाजपा के अलावा कांगे्रस के नेताओं की दौड़ चुकूम गांव के लिए लगने लगी।