देहरादून में 22 साल बाद भरेगी FRI के ऐतिहासिक भवन की दरार
देहरादून। वर्ष 1929 में तैयार हुए वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) के ऐतिहासिक भवन की दरार करीब 22 साल के लंबे इंतजार के बाद भर पाएंगी। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) की सलाह पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) दरारों का उपचार करेगा। मरम्मत कार्य की निगरानी एफआरआइ की सिविल इंजीनियरिंग विंग के प्रमुख राजेंद्र तोपवाल को सौंपी गई है।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) के महानिदेशक एएस रावत के मुताबिक चमोली में वर्ष 1999 में आए 6.6 मैग्नीट्यूट के भूकंप के दौरान एफआरआइ के मुख्य भवन के पीछे बड़ी दरार उभर आई थी। इसके अलावा भवन के कुछ अन्य हिस्सों पर भी हल्की दरारें उभर आई थीं। मुख्य भवन के पीछे की दरार 12 से 13 मिलीमीटर मोटाई व करीब 30 मीटर लंबाई में है। दरारों की मरम्मत में इसलिए भी विलंब होता रहा, क्योंकि विशेष तकनीक से ही मरम्मत की जानी थी। ताकि भवन के मूल स्वरूप में किसी तरह की छेड़छाड़ न हो।भवन की शैली ग्रीक रोमन और औपनिवेशिक है और इसका अपना ऐतिहासिक महत्व भी है।