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सीडीएस बिपिन रावत ने बताया चीन की किस ताकत से भारत को है ज्यादा खतरा, रहना होगा सावधान

नई दिल्ली : चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल (सीडीएस) बिपिन रावत ने चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। सीडीएस रावत ने बुधवार को कहा कि पड़ोसी देश चीन भारत के खिलाफ साइबर हमले की क्षमता रखता है। रावत ने चीन के इस साइबर हमले की क्षमता को भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि चीन से मिलने वाली इस चुनौती का सामना करने के लिए भारत अपने साइबर डिफेंस को मजबूत बनाने के साथ-साथ अपनी साइबर क्षमताओं को और आक्रामक बना रहा है।

साइबर सुरक्षा की दिशा में हमारी शुरुआत देर से-सीडीएस
विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक समारोह को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कहा, ‘साइबर सुरक्षा की दिशा में हमने देरी से शुरुआत की। इसके चलते वर्षों के अंतराल में दोनों देशी की साइबर क्षमताओं में अंतर आ गया है।’ उन्होंने कहा, ‘साइबर के क्षेत्र में चीन काफी पैसा लगाता आया है। इस तकनीक पर महारत हासिल करने के लिए उसने बहुत सारे फंड की व्यवस्था की। जाहिर है कि इससे चीन को हम पर बढ़त मिली। हम भी अब साइबर की नई तकनीक विकसित करने में लगे हैं ताकि हम उनकी बराबरी में आ सकें।’

अपनी साइबर ताकत बढ़ाने में जुटा भारत
सीडीएस ने कहा, ‘सबसे अहम बात यह है कि सबसे बड़ा अंतर क्या है, तो यह साइबर का क्षेत्र है। हमें पता है कि चीन हमारे खिलाफ साइबर हमला करने में सक्षम है। ऐसा करते हुए वह हमारी व्यवस्था के एक बड़े भाग को बाधित कर सकता है। इसे देखते हुए हम एक साइबर डिफेंस की व्यवस्था विकसित करने में जुटे हैं। हमने सशस्त्र सेना में अपनी एक साइबर एजेंसी तैयार की है जो यह काम कर रही है। साइबर एजेंसी इस बात पर काम कर रही है कि साइबर हमले के बाद डाउन टाइम ज्यादा न हो और उसका प्रभाव ज्यादा समय तक नहीं रहे।’

पश्चिम की तरफ न देखें-रावत
अपने संबोधन में भारत की सेना के विकास का जिक्र करते हुए जनरल रावत ने कहा कि देश को सुरक्षा समाधानों के लिए पश्चिमी जगत की तरफ देखने से बचना चाहिए और इसकी जगह विश्व को बताना चाहिए कि वह आए और विविध चुनौतियों से निपटने में भारत के व्यापक अनुभव से सीखे। उन्होंने कहा कि भारत के बाहरी खतरों से प्रभावी कूटनीति और पर्याप्त रक्षा क्षमता से निपटा जा सकता है, लेकिन साथ ही उल्लेख किया कि मजबूत राजनीतिक संस्थान, आर्थिक वृद्धि, सामाजिक सौहार्द, प्रभावी कानून व्यवस्था तंत्र, त्वरित न्यायिक राहत एवं सुशासन ‘आंतरिक स्थिरता के लिए पहली आवश्यकता’ हैं।

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