उत्तराखंड

उत्तराखंड: राज्यपाल, सीएम और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को स्वामी कैलाशानंद गिरि के पट्टाभिषेक समारोह में निमंत्रण

हरिद्वार I अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि और निरंजनी अखाड़े के संतों ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को स्वामी कैलाशानंद गिरि के पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया।

श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने मुख्यमंत्री को बताया कि कुंभ की तैयारियां अभी अधूरी हैं। इसके लिए लिए मेला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया जाए। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा उन्होंने मुख्यमंत्री को स्पष्ट कहा कि कुंभ बंद कमरों में नहीं बल्कि परंपरागत रूप से दिव्य और भव्य रूप में होगा। सभी तेरह अखाड़ों के संतों के शिविर लगाए जाएंगे और पूर्व की भांति महामंडलेश्वर नगर बसाया जाएगा।

रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी और स्वामी कैलाशानंद गिरि देहरादून पहुंचे। उन्होंने राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को 14 जनवरी मकर संक्रांति को होने वाले कैलाशानंद गिरि के आचार्य महामंडलेश्वर पट्टाभिषेक कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया।

उन्होंने कहा कि धर्म सत्ता और राजसत्ता के समन्वय से ही देश उन्नति कर सकता है। निरंजनी अखाड़े को आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में स्वामी कैलाशानंद गिरि जैसे विद्वान संत का नेतृत्व प्राप्त हो रहा है।

श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की कि मेला प्रशासन के अधिकारियों को अखाड़ों में जाकर सभी व्यवस्थाएं पूरी करने, शिविर स्थापना के लिए जरूरी व्यवस्थाएं और पेशवाई मार्गों का निरीक्षण करने के लिए निर्देशित करें। जिससे समय से सभी व्यवस्थाएं पूरी हो सकें। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

विद्वान व्यक्ति में होता है सेवा का भाव : कैलाशानांद

कैलाशानंद गिरि ने कहा कि संन्यास लेने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि और श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने उन्हें प्रेरणा दी। उन्होंने ही कहा था कि आपको आचार्य महामंडलेश्वर बनना है। उन्होंने कहा कि विद्वान व्यक्ति वही होता है, जिसमें सेवा का भाव हो। कैलाशानंद ने कहा कि वह 45वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। अग्नि अखाड़े के बाद उनका जीवन श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के लिए रहेगा। जब भी अग्नि अखाड़े को जरूरत होगी, वह हर सेवा के लिए तैयार रहेंगे।

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