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सरकार और किसानो की नहीं बनी कोई बात, कल ‘ट्रैक्टर रैली’ निकालेंगे किसान, कहा- ये 26 जनवरी से पहले का ‘ट्रेलर’

नई दिल्ली I नए कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों का आंदोलन जारी है इस बीच केंद्र सरकार से दो बार की बातचीत में भी कुछ समाधान नहीं निकला है, ऐसे में किसान फिर से आंदोलन की धार को तेज करने में जुटे हैं, बताया जा रहा है इस क्रम में 7 जनवरी को किसान ट्रैक्टर रैली निकालकर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। ये प्रदर्शन दिल्ली के चारों बार्डर पर होगा जिसमें ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल भी है।

संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा कि कि 26 जनवरी को देश जो ऐतिहासिक गणतंत्र परेड देखने वाला है, उसका एक ट्रेलर 7 जनवरी को दिखाई देगा, दो हफ्ते के लिए पूरे देश में देश जागरण का अभियान चलेगा उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने में प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, इनको गहरा किया जाएगा ताकि इस झूठ का पर्दाफाश किया जा सके कि ये आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा का है।

सरकार से सातवें दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को पंजाब के 31 किसान संगठनों की संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक हुई थी वहीं मौसम के मिजाज को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कुंडली, मानेसर, पलवल एक्सप्रेसवे यानी केएमपी पर होने वाली ट्रैक्टर रैली को एक दिन आगे बढ़ा दिया है।

किसानों की सरकार से अगली वार्ता 8 जनवरी को प्रस्तावित
वार्ता से एक दिन पहले ट्रैक्टर मार्च कर किसान संगठनों ने शक्ति प्रदर्शन का फैसला लिया है।आंदोलनकारी किसान 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने आठ जनवरी को सरकार से निर्णायक बात करने का मन बना लिया है।

कानून वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया पर ही फिर बात होगी। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि कानूनी वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, किसान अभी भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं वहीं किसान आंदोलन के बीच मंगलवार को पंजाब के बीजेपी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की है।
बाकी आंदोलन के कार्यक्रम पहले की ही तरह होंगे

पहले से ही निर्धारित 13 जनवरी को लोहड़ी के दिन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने, 18 जनवरी को महिलाओं को जोड़ने, 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान फौज दिवस और 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड का कार्यक्रम पहले की ही तरह होगा वहीं मौसम खराब होने की वजह से आंदोलन स्थल पर वाटर प्रूफ पंडाल आदि मंगाकर संघर्ष को लंबा चलाने के इंतजाम भी किए जा रहे हैं।

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