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ओपिनियन पोल के अनुसार नीतीश को फिर मिलेगा चान्स, एनडीए को स्पष्ट बहुमत, तेजस्वी की लोकप्रियता भी बढ़ी

नई दिल्ली I नीतीश कुमार बिहार को नए सपने दिखा रहे हैं और नए सपनों के लिए फिर से मौका मांग रहे हैं. CSDS-लोकनीति का ओपिनियन पोल बताता है कि नीतीश कुमार को बिहार एक मौका और दे सकता है. ओपिनियन पोल के मुताबिक, नीतीश के एनडीए गठबंधन को 38 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. 
वहीं, तेजस्वी यादव के महागठबंधन को 32 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. 6 दलों वाले गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट (GDSF) को 7 प्रतिशत, जबकि चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी को 6 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं. यानी चुनावी रेस में नीतीश कुमार सबसे आगे हैं. उन्हें अभी कोई खतरा नहीं है. 
 
एनडीए को 133 से 143 सीटें मिल सकती हैं
ओपिनियन पोल के वोट शेयर को सीटों में बदलकर देखा जाए तो नीतीश कुमार बहुमत के साथ फिर से सत्ता में वापसी कर सकते हैं. बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से एनडीए को 133 से 143 सीट मिल सकती हैं. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है. यानी बहुमत के आंकड़े तक आराम से नीतीश पहुंच सकते हैं. तेजस्वी के महागठबंधन को 88 से 98 सीटें मिल सकती हैं. चिराग की एलजेपी 2 से 6 सीटों पर ही सिमट सकती है. 
 
क्या है नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती?
इस ओपीनियन पोल से दूसरे बड़े संकेत भी मिल रहे हैं. ये संकेत नीतीश कुमार के लिए बहुत बड़ी चुनौती की तरह हैं. वो सत्ता में तो वापस आ जाएंगे, लेकिन उनकी पॉपुलरिटी गिरी है. 2015 में 80 प्रतिशत लोग नीतीश सरकार के कामकाज से संतुष्ट थे लेकिन 2020 के इस ओपिनियन पोल में ये आंकड़ा गिरकर 52 प्रतिशत हो गया है. 2015 में सिर्फ 18 प्रतिशत लोग ही नीतीश सरकार से नाखुश थे लेकिन 2020 के ओपिनियन पोल में नीतीश से नाखुश लोगों का प्रतिशत 44 हो गया है.
 
तेजस्वी की पॉपुलरिटी का ग्राफ बढ़ा
नीतीश कुमार के लिए सिर्फ यही चुनौती नहीं, तेजस्वी भी एक चुनौती हैं. नीतीश कुमार की पॉपुलरिटी का ग्राफ गिरा है, तो तेजस्वी की पॉपुलरिटी बढ़ी है. बिहार के लिए बेहतर सीएम कौन होगा, इस सवाल पर राय में तेजस्वी पीछे नहीं हैं. बेहतर मुख्यमंत्री के लिए नीतीश कुमार अब भी नंबर वन हैं. उन्हें 31 प्रतिशत लोग सबसे बेहतर मानते हैं, लेकिन 27 प्रतिशत लोग तेजस्वी में भी संभावनाएं देखते हैं. ये नीतीश से ज्यादा बड़ा अंतर नहीं है. इस रेस में चिराग पासवान, सुशील मोदी अन्य दूसरे नेता दूर-दूर तक नहीं हैं.
 
विकास और बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
चुनावी मुद्दों पर भी बिहार का मूड साफ दिख गया है. CSDS-लोकनीति के ओपिनियन पोल में लोगों ने विकास और बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है. 29 प्रतिशत लोग विकास को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा मानते हैं जबकि 20 प्रतिशत लोगों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है. महंगाई, गरीबी और शिक्षा नेताओं के एजेंडे में हो ना हो, जनता के एजेंडे में है. 
 
बेरोजगारी पर तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार को घेर रहे हैं. वो 10 लाख युवाओं को सरकार में आते ही नौकरी देने की बात कर रहे हैं. ये बिहार को प्रभावित करने वाला बड़ा मुद्दा है, इसीलिए नीतीश भी जवाब दे रहे हैं. वो इस मुद्दे की हवा निकाल रहे हैं और तेजस्वी यादव पर सीधे हमले भी कर रहे हैं.
 
लोकनीति-सीएसडीएस का ओपिनियन पोल
लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में 37 विधानसभा सीटों के 148 बूथों को कवर किया गया, जिनमें से 3731 लोगों से बात की गई. ये सर्वे 10 से 17 अक्टूबर के बीच किया गया. इनमें 60 फीसदी पुरुष और 40 फीसदी महिला मतदाताओं से बात की गई. पृष्ठभूमि की बात करें तो 90 फीसदी सैंपल ग्रामीण इलाकों से और 10 फीसदी शहरी इलाकों के लोगों से बात की गई. इनमें हर आयुवर्ग के लोग शामिल थे. 18 से 25 साल तक के 14 फीसदी, 26 से 35 साल के 29 फीसदी, 36 से 45 साल के 15 फीसदी, 46 से 55 साल के 15 फीसदी और 56 साल के अधिक के 17 फीसदी लोग शामिल थे. इस सैंपल में 16 फीसदी सवर्ण, 51 फीसदी ओबीसी, 18 फीसदी एससी और 14 फीसदी मुस्लिम शामिल रहे.

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