उत्तराखंड

सत्ता के गलियारे से : मंत्री के आंसुओं पर भी सियासत

देहरादून। भावनाओं को काबू रखना आसान नहीं। खासकर तब, जब दर्द अपनों को खोने का हो। कोरोना की दूसरी लहर का कहर कुछ ऐसा बरप रहा है कि लोग इस कदर असहाय महसूस कर रहे हैं कि आंसू बहाने के अलावा कोई चारा नहीं। ऐसा ही कुछ वन मंत्री हरक सिंह रावत के साथ हुआ। मीडिया से बातचीत करते हुए वह इतने भावुक हो गए कि फफक पड़े। अपने कई कार्यकर्त्‍ताओं को न बचा पाने की बेबसी हरक के आंसुओं में साफ झलक रही थी, मगर विपक्ष कांग्रेस ने इसे भी मुददा बना दिया। कांग्रेस के कुछ नेताओं को इसमें भी सियासत दिखी। संवेदनहीनता की हद तो यह कि ऐसा करने वाले हरक के कुछ पुराने साथी ही हैं। सच है, कोरोना ने संवेदनाओं को भी गहरे तक आहत कर दिया है, इतना कि नेताजी को यह नहीं सूझ रहा कि दुनिया इस वक्त कितने खतरनाक दौर से गुजर रही है।

बस जनाब, थोड़ा धैर्य धारण करें

गुजरे दिनों कुछ घटनाएं ऐसी सामने आई, जिन्होंने सबका ध्यान खींचा। पहले वैक्सीनेशन सेंटर पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ नारेबाजी, फिर कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत और एक डाक्टर के बीच गरमागरमी। इसके बाद विधायक देशराज कर्णवाल को निशाना बनाता एक आम आदमी। ज्यादातर लोग इन घटनाओं पर चटखारे लेते दिखे, लेकिन इस तरह की नौबत क्यों आई, इस ओर किसी ने कोई तवज्जो नहीं दी। पिछले सवा-डेढ़ साल से देश कोरोना से लड़ रहा है। हर किसी में एक तनाव घर किए हुए है। सच तो यह है कि मंत्री-विधायक जैसा वीआइपी हो, डाक्टर जैसा फ्रंटलाइन कोरोना वारियर या फिर आम आदमी, हर कोई असामान्य, अशांत, डर से घिरा हुआ है। इन परिस्थितियों में सभी अपने-अपने तरीके से कोरोना से लड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाओं का सामने आना कोई अजूबा नहीं। जरूरत है तो बस थोड़ा सा धैर्य धारण करने की।

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