उत्तराखंड

Teachers Day 2020: उत्तराखंड की राज्यपाल मौर्य बोलीं, मां होती है अपनी संतान की पहली गुरु

देहरादून। आज शिक्षक दिवस है। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भी अहम भूमिका है। मुझे याद है, जब मैं प्राइमरी में पढ़ती थी, हमारी प्रधानाध्यापिका एक अनुशासनप्रिय महिला थीं। उन्होंने हमें माता-पिता का आदर और बड़ों का सम्मान करने के साथ ही सभी के साथ सद्भाव बनाए रखना भी सिखाया। हम उनके उनके आदर्शों पर चलकर ही शिक्षित हुए और हमारे अंदर समाज सेवा की भावना पल्लवित हुई। आज भी उसी प्रकार की शिक्षिकाओं की आवश्यकता है। जब महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी हैं, तो निश्चित रूप से उनके गुरु भी अच्छे रहे होंगे। आज शिक्षक दिवस के अवसर पर उन सभी महिला गुरुओं को प्रणाम, जो शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लेकर आईं। प्रत्येक महिला मां के रूप में अपनी संतान की प्रथम गुरु होती है। माता सीता भी लव-कुश की गुरु रहीं। ये है उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की कलम से शिक्षा में महिलाओं की भूमिका पर उनका दृष्टिकोण।

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य कहती हैं कि शिशुओं को संस्कार प्रदान करने और समाज के व्यवहार और नियमों में दीक्षित करने का मुख्य कार्य माता का ही होता है। जिस तरह एक सीप में मोती का निर्माण होता है, वैसे ही मां अपनी संतान को समाज के बाहरी प्रभावों से बचाते हुए एक अच्छा नागरिक बनाने के लिए शिक्षित करती है। वीर शिवाजी के पिता एक विदेशी शासक के अधीन कार्य करते थे, लेकिन वीर माता जीजाबाई ने अपने पुत्र को एक धर्म परायण, मर्यादित योद्धा के रूप में विकसित किया। यह शक्ति होती है नारी के प्रभाव की।

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