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चीन-अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंचा, ट्रंप बोले- चीन के अन्‍य दूतावासों को भी किया जा सकता है बंद

बीजिंग : अमेरिका-चीन के बीच टकराव चरम पर है। चीन से ह्यूस्‍टन स्थित अपना वाणिज्‍यदूतावास बंद किए जाने को कहे जाने के बाद अब अमेरिका ने इसके संकेत भी दिए हैं कि आने वाले दिनों में चीन के अन्‍य राजनयिक मिशन को भी बंद किया जा सकता है। वहीं चीन ने अमेरिका के कदमों को एकतरफा बताते हुए इसे अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों का उल्‍लंघन भी बताया है। माना जा रहा है कि चीन जल्‍द ही इस पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है और वुहान स्थित अमेरिकी वाणिज्‍यदूतावास को बंद करने का आदेश दे सकता है।

‘यह हमेशा संभव है’

चीन के साथ संबंधों में बढ़ती तल्‍खी के बीच अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस पर पहली प्रतिक्रिया दी है और ह्यूस्‍टन स्थित चीनी वाणिज्‍यदूतावास में कुछ कागजातों को जलाने की मीडिया रिपोर्ट्स पर भी हैरानी जताई। उन्‍होंने ‘मैं हैरान हूं… आखिर क्या था वह सब? मुझे लगता है कि वे कुछ कागजात और दस्‍तावेज जला रहे थे।’ वहीं यह पूछे जाने पर कि अमेरिका, चीन के अन्‍य राजनयिक मिशन को भी बंद करने के लिए कह सकता है, उन्‍होंने कहा, ‘जहां तक अन्‍य राजनयिक मिशनों को बंद किए जाने की बात है, यह हमेशा संभव है।’

चीन करेगा पलटवार?

इससे पहले अमेरिका ने चीन से अपना ह्यूस्‍टन स्थित वाणिज्‍यदूतावास बंद करने के लिए कहा था। चीन ने इस पर प्रति‍क्रिया देते हुए कहा था कि यह अमेरिका का एकतरफा फैसला है और अंतरराष्‍ट्रीय नियमों का भी उल्‍लंघन करता है। इससे दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर नकारात्‍मक असर पड़ेगा। माना जा रहा है कि अमेरिका के इस कदम पर चीन जल्‍द ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है और अमेरिका से वुहान स्थित अपना वाणिज्‍यदूतावास बंद करने के लिए कह सकता है। चीन पहले ही कह चुका है कि अमेरिका ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो पलटवार करेगा।

‘नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाए कदम’

वहीं, अमेरिका ने ह्यूस्‍टन स्थित चीनी वाणिज्‍यदूतावास को बंद किए जाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उसने अमेरिकी नागरिकों की ‘बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी’ की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया है। चीन पर अमेरिका के आंतरिक मामलों में हस्‍तक्षेप को लेकर उंगली उठाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता मॉर्गन ऑर्टगुस ने यह भी कहा कि वियना कॉन्‍वेंशन के तहत विभिन्‍न देशों की जिम्‍मेदारी है कि जिस देश में उनके राजनयिक मिशन हैं, वहां के आंतरिक मामलों में दखल न दें।

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