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भारत विरोधी बयान देना नेपाली पीएम को पड़ सकता है महँगा, जा सकती है कुर्सी

नई दिल्ली। नेपाल की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की स्थाई समिति की आज अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के भविष्य पर निर्णय लिया जाएगा। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। भारत विरोधी टिप्पणी करने को लेकर प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफ़े की बढ़ती मांग के मद्देनज़र यह बैठक हो रही है।

ओली और एनसीपी के र्काकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री आवास में बैठक की। मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि तीन घंटे तक चली बैठक दोनों शीर्ष नेताओं के बीच विश्वास बहाल करने के लिए हुई। ओली के साथ बैठक के बाद प्रचंड ने नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की।

स्थाई समिति पार्टी की सबसे प्रभावशाली इकाई

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनपीसी) की 45 सदस्यीय स्थाई समिति की बैठक गुरुवार को स्थगित कर दी गई क्योंकि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे पर कोई आम सहमति बना पाने में नाकाम रहा। यह समिति पार्टी की सबसे प्रभावशाली इकाई है। एनसीपी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी हालिया भारत विरोधी टिप्पणी ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है।

‘प्रधानमंत्री की भारत विरोधी टिप्पणी किसी भी तरह से सही नहीं’

प्रचंड ने कहा था, ”प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी कि भारत उन्हें अपदस्थ करने की साजिश रच रहा है, ना तो राजनीतिक रूप से सही है और ना कूटनीतिक रूप से उपयुक्त है।” प्रधानमंत्री ओली ने रविवार को दावा किया था कि उन्हे पद से हटाने के लिए दूतावासों और होटलों में विभिन्न तरह की गतिविधियां चल रही हैं। उन्होंने कहा कि देश के मानचित्र को अद्यतन कर उसमें रणनीतिक रूप से तीन भारतीय क्षेत्रों… लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा… को शामिल किए जाने संबंधी उनकी सरकार के कदम के बाद के खेल में कुछ नेपाली नेता भी संलिप्त हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार को स्थाई समिति की बैठक दौरान प्रचंड द्वारा कही गई बात को उद्धृत करते हुए कहा कि दक्षिणी पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर प्रधानमंत्री ओली द्वारा आरोप लगाया जाना उचित नहीं है। प्रचंड ने पहले भी और बार-बार यह कहा है कि सरकार तथा पार्टी के बीच समन्वय का अभाव है। साथ ही, वह एनसीपी द्वारा ”एक व्यक्ति एक पद” प्रणाली का पालन किए जाने पर जोर दे रहे हैं।

एनसीपी के दोनों धड़ों (ओली के नेतृत्व वाले और प्रचंड के नेतृत्व वाले) के बीच मतभेद उस वक्त बढ़ गया जब प्रधानमंत्री ने बजट सत्र का सत्रावसान करने का गुरुवार को एकपक्षीय तरीके से फैसला किया। मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य के मुताबिक, ओली ने संसद का सत्रावसान करने का फैसला किया है, ताकि वह पार्टी को विभाजित करने वाले एक विवादास्पद विधेयक को फिर से पेश कर सकें।

स्थाई समिति की बैठक में प्रधानमंत्री के भविष्य पर निर्णय

सूत्रों ने बताया कि प्रचंड ने शनिवार को पार्टी की स्थाई समिति की बैठक बुलाई है, जिसमें प्रधानमंत्री के भविष्य पर निर्णय लिया जा सकता है। स्थाई समिति के सदस्य गणेश शाह ने कहा कि शनिवार को समिति की बैठक के दौरान दोनों पक्ष कोई ऐसा तंत्र बनाने पर काम करेंगे, जिसके तहत पार्टी और सरकार दोनों को कुछ नियम-कायदों का पालन करना होगा, ताकि मतभेद दूर हो सकें। उन्होंने यह विचार प्रकट किया कि प्रधानमंत्री ओली मनमाने तरीके से सरकार चला रहे हैं और वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड को अपना काम नहीं करने दे रहे हैं। ओली और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड, दोनों ही सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष हैं।

एनसीपी की केंद्रीय समिति के सदस्य एवं विदेश मामलों के पार्टी के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने कहा कि अब प्रधानमंत्री ओली के समक्ष यह विकल्प है कि वह ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत का पालन करते हुए या तो पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ें या फिर प्रधानमंत्री पद का। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि मतभेदों को खत्म करने के लिए दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाएगा ताकि शनिवार की बैठक के बाद संकट समाप्त हो जाए।”

प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्रियों ने की है इस्तीफे की मांग

मंगलवार को हुई स्थाई समिति की बैठक के दौरान प्रचंड और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल और झालानाथ खनल ने विवादस्पद बयान देने को लेकर ओली से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा था। उन्होंने ओली से यह भी कहा था कि अपनी टिप्पणी को साबित करने के लिए वह साक्ष्य पेश करें। पार्टी में ओली हाशिये पर चले गए हैं क्योंकि काफी संख्या में वरिष्ठ नेता प्रचंड के साथ हैं। ओली के पास स्थाई समिति में सिर्फ 15 सदस्यों का ही समर्थन है।

इस बीच, राम कुमारी झाकरी और बिजय पौडेल सहित एनसीपी नेताओं का एक धड़ा शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय के सामने धरना पर बैठ गया। वे शीर्ष नेतृत्व पर इस बारे में दबाव बनाना चाहते हैं कि पार्टी की संभावित टूट को टाल कर इसे अक्षुण्ण रखा जाए। वहीं, खबर के मुताबिक एनसीपी में निकट भविष्य में टूट होती नजर नहीं आ रही है क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर दोनों प्रमुख धड़े आपसी मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। खबर के मुताबिक दिन में शुक्रवार को एनसीपी के दूसरी श्रेणी के नेताओं ने ललितपुर में एक बैठक की। इसमें कई मंत्री शामिल हुए।

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