स्वास्थ्य

कोरोनाकाल में चिंता और अवसाद के कई मामले पहले से बढ़े

नई दिल्ली: कोविड महामारी की दूसरी लहर आखिरकार भारत में कम होने लगी है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन के अलावा हाल के कई और अध्ययनों में यह पाया गया है कि महामारी के शुरू होने के बाद से दुनियाभर में चिंता और अवसाद के कई मामले पहले से काफी ज्यादा बढ़ गए हैं।

सिंगापुर में ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के शोधकतार्ओं के अनुसार, कोरोना के समय में तीन समूह – महिलाएं, युवा और निम्न सामाजिक व आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।

वर्तमान समय में यह निश्चित है कि कुछ लोगों द्वारा चिंता और अवसाद की स्थिति का सामना किया जा रहा है। लोगों में असहजता, बेचैनी और घबराहट का एहसास अधिक होने लगा है। इंसान कोरोना की चपेट में आने के डर से ग्रस्त हैं। उनमें अपने प्रियजनों की सेहत, आर्थिक परेशानी, अस्थिर दिनचर्या जैसी बातों को लेकर चिंता भी सताने लगी है। आने वाले दिन किस तरह से बीतेंगे, लोगों इसके बारे में सोच-सोचकर भी परेशान हैं।

चिंता भी हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं

तनाव और चिंता की मात्रा जब बढ़ने लगती है, तो लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है। बता दें कि तनाव और चिंता भी हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकते हैं, जिससे व्यक्ति कोरोनावायरस और अन्य सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।

बेशक कोरोनावायरस के चलते उत्पन्न हुई दुर्गम परिस्थितियों में चिंतित होना स्वाभाविक है, लेकिन इन्हें मैनेज करना भी बहुत जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखना एक सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों द्वारा निरंतर प्रयासों की आवश्यकता होती है।

इसी दिशा में मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करना जिंदल स्कूल ऑफ साइकोलॉजी एंड काउंसलिंग (जेएसपीसी) का एक लक्ष्य है, जो भारत के सोनीपत में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का दसवां स्कूल है।

अगस्त में जेएसपीसी में विद्यार्थियों के पहले बैच का स्वागत किया जाएगा, जो परामर्श और नैदानिक मनोविज्ञान सहित मनोविज्ञान के अलग-अलग विषयों से संबंधित ज्ञान और कौशल दोनों हासिल करेंगे। स्कूल मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता वाले लोगों की सहायता करने और भविष्य के मानसिक स्वास्थ्य संकटों के लिए देश को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए मनोवैज्ञानिकों की अगली पीढ़ी को पोषित करने के लिए समर्पित है।

जेएसपीसी स्थानीय समुदाय में शैक्षिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा और मनोवैज्ञानिक निष्कर्षों पर काम करेगा। वास्तविक दुनिया के क्षेत्र में प्रयोग में लाने के लिए यहां शोध विषयवस्तुओं का उसी अनुरूप अनुवाद किया जाएगा और भारत सहित दुनियाभर के लोगों के लिए प्रासंगिक जानकारियों का प्रसार किया जाएगा।

जेएसपीसी की तरफ से कुछ उपाय सुझाए गए हैं

अंत में जेएसपीसी की तरफ से कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जिससे कोविड-19 संबंधी अवसाद व चिंताओं को दूर किया जा सकता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है कि हम स्थिति के अनुसार व्यवहार करें यानि कि नियमित तौर पर मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। इससे खुद में कुछ हद तक आत्मविश्वास का अनुभव होगा। इसके अलावा, वर्चुअल तरीके से हो या डिजिटली हो, अपने रिश्तों में सुधार लाए, लोगों से बातें करें।

अनिद्र या नींद में कमी अवसाद के सामान्य लक्षण हैं। ऐसे में रात के समय में आराम की नींद लेने के लिए व्यायाम करना और शारीरिक रूप से सक्रिय रहना बहुत जरूरी है। इससे आपके सोने के समय की एक रूटिन बनी रहेगी। पर्याप्त नींद लेना भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

नशीले पदार्थों जैसे अवैध पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए

अंत में शराब, निकोटीन, भांग या नशीले पदार्थों जैसे अवैध पदार्थों के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। ऐसे पदार्थ अल्पकालिक तनाव से तो राहत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ये आमतौर पर लंबे समय में चिंता के स्तर को बढ़ाते हैं।

अवसाद, चिंता या अन्य प्रकार की मानसिक पीड़ा लंबे समय तक बनी रहती है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की मदद की आवश्यकता हो सकती है। बहरहाल, यह आशा की जाती है कि आने वाले महीनों में टीकों के वितरण में वृद्धि से व्यावसायिक और सामाजिक दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाएगा और बेहतर, स्वस्थ समय की ओर वापसी होगी।

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