करारी हार के बाद कांग्रेस को मजबूत करने की चुनौती, इन बातों को ध्यान में रखकर होगा नए प्रदेश अध्यक्ष का चयन
देहरादून। कांग्रेस उत्तराखंड में नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विधायक दल के चयन में गुटीय संतुलन के ऊपर क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को साधने पर जोर दे सकती है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की चुनौती देखते हुए इस दांव को आजमाने की तैयारी है।
हार के कारणों पर सोमवार से होने वाले दो दिनी लोकसभा क्षेत्रवार मंथन के पीछे पार्टी हाईकमान की यही मंशा बताई जा रही है। नजरें अब 2024 के लोकसभा चुनाव पर टिक गई हैं।
मात्र 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा
उत्तराखंड में पांचवीं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को बड़ी पराजय मिली है। मत प्रतिशत में चार प्रतिशत से अधिक और सीटों की संख्या में आठ की वृद्धि होने के बावजूद पार्टी सम्मानजनक हार के लिए तरस गई। पार्टी को मात्र 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। हार की गाज सबसे पहले गणेश गोदियाल पर गिरी।
पार्टी नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष पद से उनका इस्तीफा ले चुका है। कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए अगले पांच साल तक संघर्ष करना है। कांग्रेस को भाजपा से तो पार पाना ही है, गैर भाजपा दलों की राज्य में बढ़ती सक्रियता को पार्टी नेतृत्व आने वाले समय में बड़ी चुनौती के तौर पर ले रहा है।