हरिद्वार में पंचायत चुनाव को लेकर खड़ा हो गया वैधानिक संकट, पहली बार सामने आई है इस तरह की स्थिति
देहरादून। हरिद्वार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर वैधानिक संकट खड़ा हो गया है। पंचायतीराज एक्ट में संशोधन के बाद प्रशासकों का कार्यकाल छह माह और बढ़ाने के बाद भी वहां चुनाव की स्थिति नहीं बन पा रही है। ग्राम पंचायतों के प्रशासकों के कार्यकाल की अवधि 29 मार्च को खत्म हो रही है। राज्य गठन के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर ऐसी स्थिति पहली बार बनी है। इसे देखते हुए अब शासन ने महाधिवक्ता और न्याय विभाग से राय लेने का निश्चय किया है।
प्रदेश में हरिद्वार ऐसा जिला है, जहां त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव अन्य जिलों के साथ नहीं हो पाते। राज्य गठन के बाद से ही यह क्रम बना हुआ है। वहां पंचायतों का गठन अन्य जिलों से सालभर बाद होता है। इसी के चलते अक्टूबर 2019 में हुए पंचायत चुनावों में हरिद्वार में चुनाव नहीं हो पाए थे। हरिद्वार में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2015 के आखिर में हुए थे। तब वहां 29 मार्च 2016 को ग्राम पंचायतों, 16 मई को जिला पंचायत और 10 जून को क्षेत्र पंचायतों की पहली बैठक हुई थी। पहली बैठक के साथ ही पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है, जो पिछले वर्ष खत्म हुआ।