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लखीमपुर हिंसा: प्रियंका गांधी ने अपनी गिरफ्तारी पर उठाए सवाल, बेल बॉन्ड भरने से भी इनकार, राहुल को दौरे की इजाजत नहीं

नई दिल्ली: पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आज लखीमपुर खीरी जा सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने यूपी सरकार से लखीमपुर खीरी में मारे गए किसान प्रदर्शनकारियों के परिजनों से मिलने की इजाजत मांगी थी. जिसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इनकार कर दिया है. लखीमपुर खीरी मामले को लेकर कांग्रेस यूपी सरकार पर चौतरफा दबाव बनाए हुए है. राहुल गांधी आज सुबह 10 बजे दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.

उधर सीतापुर में गिरफ्तारी के बाद पीएसी गेस्ट हाउस से ही प्रियंका गांधी ने अपने कार्यकर्ताओं को फोन के जरिए संबोधित किया. मंगलवार को समर्थन में मशाल जुलूस भी निकाला गया. कार्यकर्ताओं ने लखीमपुर में किसानों को गाड़ी से कुचलने के आरोपियों की गिरफ्तारी और मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की. गेस्ट हाउस के बाहर जुटे समर्थकों से प्रियंका गांधी ने फोन के जरिए संबोधित किया और यूपी सरकार पर जमकर निशाना साधा.

144 और शांतिभंग की आशंका में केस दर्ज
प्रियंका गांधी लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलने जा रही थीं, लेकिन उन्हें सीतापुर में रोक दिया गया. प्रियंका के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन और शांतिभंग की आशंका जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. प्रियंका गांधी वाड्रा, राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और यूपी कांग्रेस के मुखिया अजय कुमार लल्लू समेत 11 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है.

बेल बांड भरने से इनकार कर दिया
प्रियंका गांधी और उनके साथियों ने बेल बांड भरने से इनकार कर दिया है. गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस महासचिव ने एक बयान जारी कर प्रशासन पर कानून का उल्लंघन कर उन्हें कैद रखने का आरोप लगाया है. प्रियंका के मुताबिक, “जिस समय मुझे हिरासत में लिया गया उस समय मैं सीतापुर जिले में थी, मेरी जानकारी के अनुसार सीतापुर जिले में धारा 144 नहीं लगी हुई थी. 5 अक्टूबर को शाम 6:30 बजे तक न तो मुझे ये बताया गया कि मुझे किन वजहों से हिरासत में लिया गया, न ही ये बताया गया कि किस धारा के तहत हिरासत में लिया गया है.”

उन्होंने आगे कहा, ”मुझे मेरी हिरासत से सम्बंधित न तो कई नोटिस दिखाया गया, न ही कोई आदेश. मुझे कोई एफआईआर भी उपलब्ध नहीं कराई गई. मेरे वकील सुबह से गेट पर खड़े हैं. मुझे कानूनी सलाह लेने के लिए मेरे वकीलों से मिलने के अधिकार से भी वंचित रखा गया.”

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