उत्तराखंड

देहरादून में श्मशान घाटों में तीन गुना अंतिम संस्कार, मौत पर सवाल?

देहरादून। दून में कोरोना से जिन व्यक्तियों की मौत हो रही है, उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत रायपुर स्थित श्मशान घाट में किया जा रहा है। राज्य सरकार के हेल्थ बुलेटिन में रोजाना दर्ज हो रहे मौत के आंकड़ों के अनुरूप इस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार का दबाव भी दिख रहा है। मगर, इस सबके बीच जो बात असामान्य है, वह यह कि अन्य श्मशान घाटों में भी अंतिम संस्कार का आंकड़ा बढ़ रहा है। सामान्य दिनों की अपेक्षा बीते एक माह में यह आंकड़ा तीन गुना से अधिक हो गया है। एकाएक हुई इस बढ़ोतरी को सामान्य तो कतई नहीं माना जा सकता। ..तो क्या यह मान लिया जाए कि कोविड प्रोटोकॉल से इतर जिनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है, उन पर भी कोरोना का साया पड़ा है और संबंधित व्यक्तियों या उनके स्वजनों ने कोरोना की जांच नहीं कराई? यदि ऐसा है तो हालात वाकई विकट हैं।

दून के प्रमुख पांच श्मशान घाटों में सामान्य दिनों में हर माह 500 से कम अंतिम संस्कार किए जाते हैं। इससे उलट बीते एक माह में इन श्मशान घाटों में यह आंकड़ा 1570 के करीब जा पहुंचा है। आधिकारिक रूप से इन व्यक्तियों की मृत्यु को कोरोना की वजह नहीं माना जा सकता। फिर भी यकीन कर पाना मुश्किल है कि अचानक बढ़ी इन मौतों के पीछे कोरोना का संक्रमण नहीं है। इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि सरकार, शासन व प्रशासन की हिदायत और जागरूकता भरी अपील के बाद भी तमाम लोग बीमार होने पर कोरोना की जांच से बच रहे हैं। फिलहाल ऐसे मामलों की रिकॉर्डिंग नहीं हो पा रही है। हालांकि, समाज की सुरक्षा व कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिहाज से इस तरह की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

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