उत्तराखंड

उत्तराखंड: कैबिनेट की बैठक आज, स्वरोजगार और प्रवासियों को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मिल सकती है मंजूरी 

देहरादून I मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक बृहस्पतिवार को सुबह साढ़े दस बजे से होगी। बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिल सकती है। प्रदेश सरकार प्रवासियों के रोजगार को लेकर कुछ अन्य योजनाओं पर भी विचार कर रही है, जिन्हें बैठक में मंजूरी मिल सकती है। एकीकृत आदर्श गांव योजना की गाइडलाइन भी सरकार ला सकती है। इस योजना के तहत 95 ब्लॉकों में एक-एक आदर्श गांव बनाया जाना है।

पूर्व मुख्यमंत्री के बकाया किराया माफी के अध्यादेश को हाईकोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार देने के बाद अब सरकार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में ला सकती है। सरकार ने इस विषय को लेकर विधिक परामर्श भी लिया है। हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना ही सरकार के पास एकमात्र विकल्प है।

ऐसा नहीं करने पर पूर्व मुख्यमंत्रियों से करोड़ों का मकान किराया वसूला होगा। इसके अलावा बसों के संचालन को लेकर सरकार निर्णय ले सकती है। सरकार तय कर रही है कि बसों में सोशल डिस्टेसिंग के हिसाब से कितनी सवारियों को बैठने की अनुमति दी जाए। यही नहीं अगर सवारियों की संख्या कम रहेगी तो किराया में वृद्धि भी संभव है।

बसों व टैक्सियों में सवारी फुल या किराया डबल, आज होगा फैसला

प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में बृहस्पतिवार को बसों और टैक्सियों के संचालन को लेकर प्रदेश सरकार निर्णय ले सकती है। सभी जिला संभागीय परिवहन अधिकारियों से फीड बैक लेने के बाद परिवहन सचिव ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को सौंप दिया है। इस प्रस्ताव पर विचार के बाद सार्वजनिक वाहनों के संचालन पर सरकार कोई निर्णय ले सकती है। माना जा रहा है कि विभाग की ओर से कैबिनेट के सामने दो प्रमुख विकल्प रखे जा सकते हैं।

मसलन, बसों व टैक्सियों को यूपी की तर्ज पर पूरी सवारी के साथ चलने की इजाजत दी जाए या फिर बढ़ा हुआ किराया वसूलने की छूट मिले। परिवहन व्यवसायियों डबल किराया वसूलने की मांग कर रहे हैं। बैठक में उत्तराखंड रोडवेज की बसों के संचालन की संभावना पर भी चर्चा कर सकती है।

घाटे के भय से नहीं चल रहे सार्वजनिक वाहन

आरटीओ की बैठक में यह तथ्य उजागर हुआ था कि पूरे प्रदेश में सार्वजनिक वाहनों का संचालन 15 फीसदी भी नहीं हैं। इसकी प्रमुख वजह सोशल डिस्टेंसिंग के चलते वाहनों की क्षमता का 50 फीसदी सवारी ढोने की शर्त है। दूसरी वजह कम सवारी मिलना भी है। घाटे के भय से अधिकांश परिवहन व्यवसायियों ने बसों, टैक्सियों, विक्रम व ऑटो सड़कों पर नहीं उतारे हैं। उन्होंने सरकार के सामने कई शर्तें और मांगें रखी हैं। इन सभी मांगों के बारे में भी कैबिनेट को अवगत कराया जाएगा।

परिवहन व्यवसायियों की जो हैं मांगे

– वाहनों का मासिक शुल्क दो वर्ष के लिए माफ हो।

– वाहन चालकों व परिचालकों को आर्थिक सहायता।

– दो वर्ष के लिए रोड टैक्स में छूट दी जाए।

– वाहनों का इंश्योरेंस में भी छूट दी जाए।

– 15 साल का समय पूरा कर चुके वाहनों को एक साल और संचालन की अनुमति मिले।

– टैक्सी वाहनों का दो साल का रोड टैक्स, यात्री कर व फिटनेस टैक्स माफ हो।

– यूपी की तर्ज पर वाहनों को उनकी क्षमता के हिसाब से सवारी ढोने दी जाए।

– 50 प्रतिशत सवारी की शर्त पर किराया डबल हो या सरकार घाटे की भरपाई करे।

रोडवेज बसों के संचालन पर भी होगा मंथन

कुछ शर्तों के साथ राज्य के भीतर बसों के संचालन की अनुमति मिलने के बावजूद उत्तराखंड रोडवेज ने बसों को चलाने का निर्णय नहीं लिया है। निगम प्रबंधन इसे घाटे का सौदा मान रहा है। 50 प्रतिशत की सवारी के साथ बसों के संचालन से रोडवेज को आर्थिक नुकसान हो सकता है। पहले से ही घाटे का सामना कर रहे निगम ने बसें संचालित नहीं की है। लेकिन कुछ दिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बारे में विचार करने के संकेत दिए थे। इसके बाद परिवहन विभाग भी हरकत में आ गया था। इस बीच परिवहन मंत्री यशपाल आर्य का कहना है कि रोडवेज बसों का संचालन एक अहम मसला है, इस पर कैबिनेट में विचार हो सकता है।

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