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काबुल के कोहराम से उलझा भारत का निकासी मिशन, बीते 72 घण्टे से जारी विशेष उड़ान का इंतज़ार आज पूरा होने की उम्मीद

तालिबानी कब्जे में कांप रहे अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर कोहराम थमने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं अफगान जमीन पर फँसे भारतीयों सुरक्षित निकालने की कोशिशों को भी कई मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है. काबुल से निकलने को उमड़ रही भीड़, विभिन्न मुल्कों की सैन्य उड़ानों की शेड्यूलिंग की समस्या के कारण अफ़ग़ानिस्तान भेजा गया भारतीय वायुसेना का विमान शुक्रवार देर रात भी उड़ान नहीं भर सका है. हालांकि संकेत हैं कि शनिवार भारतीय वायुसेना का सी-17 विमान 250 से अधिक लोगों को लेकर उड़ान भर सकेगा और दोपहर बाद भारत पहुंचेगा. साथ ही जल्द एक और सैन्य विमान भेजकर बचे हुए लोगों को निकाले जाने की भी तैयारी की गई है.

इस बीच काबुल में फंसे भारतीय नागरिकों और भारत आने की कोशिश में जुटे अफगान नागरिक बेहद मुश्किल हालात में सी-17 की सहायता उड़ान का इंतजार कर रहे हैं. काबुल हवाई अड्डे पर बीते पांच दिनों से मौजूद भीड़ के दबाव में व्यवस्थाएं जहां चरमरा गई हैं. वहीं हवाई अड्डे को नियंत्रित कर रहे अमेरिकी अधिकारियों को भी अलग-अलग देशों से आ रही उड़ानों को छोटे रनवे वाले हामिद करजई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर टर्न-अराउंड टाइम को साधने की चुनौती आ रही है. यानी एक विमान के उतरने, यात्रियों को बैठाने और फिर उड़ान भरने के बीच कम से कम समय लगे इसकी मुश्किलें पेश आ रही हैं.

सूत्रों के मुताबिक समस्या एयरपोर्ट पर सैन्य विमानों की उड़ान में तालमेल को लेकर आ रही है. काबुल के अपेक्षाकृत छोटे सैन्य रनवे क्षेत्र में किसी भी विमान को उतरने, यात्रियों को बैठाने व उड़ान भरने के लिए बेहद कम समय दिया जा रहा है. चूंकि फिलहाल सैन्य उड़ानें ही हो रही हैं इसलिए सभी देशों के सैन्य विमानों का दबाव है. ज़ाहिर तौर पर भारत को विमान के एयरपोर्ट पहुँचने और बड़ी संख्या वाले यात्री दल को बैठाने के लिए कम से कम दो घण्टे का समय चाहिए.

इन चुनौतियों के चलते भारतीय वायुसेना का सी-17 ग्लोबमास्टर विमान बीते करीब 48 घंटे से ताजिकिस्तान के दुशांबे में है और काबुल के लिए उड़ान का सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस उड़ान के लिए कई बार कोशिशें की गईं. लेकिन काबुल में फंसे भारतीयों को एक साथ एयरपोर्ट पहुंचाने से लेकर विमान में बैठाने की कवायद जहां खासी पेचीदा है. वहीं, विमान के लिए काबुल में इस मिशन के लिए लैंडिंग और टेक-ऑफ की टाइम-विंडो तलाशने भी चुनौती बन रहा है. इस बीच 250 से अधिक भारतीय और कुछ अफगान नागरिक भारत आने की बेसब्री से बाट जोह रहे हैं.

इस बीच भारतीयों की निकासी के लिए मिशन काबुल की रफ्तार बढाने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के विदेशनमंत्री टोनी ब्लिंकन से बात की है. वहीं अमेरिका से भारत लौटते वक्त कतर की राजधानी दोहा में विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर बात हुई. महत्वपूर्ण है कि भारत इस कोशिश में भी लगा है कि यदि जरूरत पड़ती हो तो कतर की उड़ानों के जरिए भारतीयों को काबुल से निकाला जा सके.

विदेश मंंत्री डॉ एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बैठक के बाद कैमरों के आगे कहा था कि भारत सरकार की पहली प्राथमिकता है अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालना. इसके लिए अमेरिका समेत सभी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ हम संपर्क में हैं. उन्होंने अमेरिका की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया जिसके पा इस समय काबुल ह के बीच उम्मीद है कि शनिवार सुबह तक यह विमान उड़ान पर सके. ऐसे में C17 विमान के शनिवार दोपहर हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पहुंचने की उम्मीद है.

इस बीच करीब 200 से अधिक भारतीय दो-तीन समूहों में काबुल एयरपोर्ट से करीब के अलग अलग जगहों पर हैं. क्योंकि इतने लोगों के साथ अफरा-तफरी भरे काबुल एयरपोर्ट पर न तो इंतज़ार करना न मुनासिब है और न मुमकिन. महिलाओं और छोटे बच्चों के साथ यह समूह बस इंतज़ार कर रहा हैं. भारतीय नागरिकों के साथ साथ कुछ अफ़ग़ान नागरिक भी हैं जो भारत आना चाहते हैं. वहीं भारत की चुनौती यह भी है कि उसे इस मिशन का समन्वय काबुल की बजाए दिल्ली और ताजिकिस्तान की राजधानी दुंशांबे से करना पड़ रहा है. क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान की आमद के बाद 18 अगस्त को काबुल स्थित दूतावास का भारतीय स्टाफ देश लौट आया था.

वतन वापसी के इंतजार में काबुल एयरपोर्ट के करीब एक जगह पर रुके भारतीय सेना के पूर्व सैनिक अनुराग गुरुंग ने एबीपी न्यूज से बातचीत में बताया कि सभी लोग जल्द से जल्द निकलना चाहते हैं. काबुल एयरपोर्ट पहुंचने के बाद जब यह पता चला कि विमान गुरुवार को उड़ान नहीं भर पाएगा तो सभी लोग मायूस भी हुए और परेशान भी. तब नज़दीक के इलाके में एक सुरक्षित स्थान पर जाने का फैसला किया. काबुल के असुरक्षित माहौल में महिलाओं और छोटे बच्चों के साथ सीमित जगह में ठहरना काफी कठिनाई भरा है. सभी लोग बस भरोसे के साथ इंतज़ार कर रहे हैं कि जल्द से जल्द वायुसेना विमान के लिए उड़ान का समय तय हो और अपने देश लौट सकें.

दरअसल, अराजकता की स्थिति देख रहे काबुल शहर में पहले विभिन्न इलाकों से लोगों को सुरक्षित एयरपोर्ट पहुंचाना, उन्हें एयरपोर्ट के सैन्य इलाके में दाखिल कराना और फिर विमान में बैठाना, एक मुश्किल प्रक्रिया है. खासतौर पर तब जबकि एयरपोर्ट पर अव्यवस्था ही अव्यवस्था फैली हो. चुनौती तब और भी बढ़ जाती है जब ग्राउंड ज़ीरो पर कोई भी भारतीय अधिकारी मौजूद नहीं है और इस मिशन को संभाल रहे अधिकारियों को काबुल में मौजूद स्थानीय अफ़ग़ान स्टाफ के साथ दिल्ली तथा दुशांबे से तालमेल बैठाकर काम करना पड़ रहा है.

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