उत्तराखंड

पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने भर्ती आयु सीमा बढ़ाने को रखा मौन उपवास

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने गुरुवार को अपने आवास पर सरकारी नौकरियों में आवेदकों को आयु सीमा में छूट देने की मांग को लेकर एक घंटे मौन उपवास किया।

गुरुवार सुबह आठ से नौ बजे तक अपने आवास पर मौन उपवास पर बैठने के बाद इंटरनेट मीडिया पर जारी अपनी पोस्ट में उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चार साल में सरकार ने भर्तियां नहीं कीं। सरकारी विभागों में पद खाली हैं। काफी संख्या में बेरोजगारों भर्तियों के इंतजार में निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके हैं। अब सरकार जब पद विज्ञापित कर रही है तो उन्हें अपनी आयु की वजह से निराश होना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से आयु सीमा में रियायत देते हुए चार साल बढ़ाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि फाइन आट्र्स और चित्रकला विषयों के अभ्यर्थियों को एलटी भर्ती में बीएड की बाध्यता की वजह से परेशान होना पड़ रहा है। सरकार को इसे खत्म करना चाहिए। सरकार से बेरोजगारों की मांग मनवाने के लिए उन्हें मौन उपवास पर बैठना पड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रवक्ता सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मौन उपवास के समापन के बाद हरीश रावत हल्द्वानी के अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए।

‘सरकार में चल रही सबसे बड़ा फेंकू कौन प्रतियोगिता’

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गैरसैंण के विकास को लेकर सरकार के स्तर पर की जा रही कवायद को लेकर एक बार फिर हमला बोला है। इस बार उन्होंने सरकार के साथ मुख्य सचिव ओमप्रकाश को भी निशाने पर लिया। इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में हरीश रावत ने कहा कि राज्य सरकार में ‘सबसे बड़ा फेंकू कौन’ प्रतियोगिता चल रही है। पहला जुमला कैंपा में 40 हजार नौकरी देने का उछाला गया। अब ये कौन समझाए कि कैंपा में नौकरी नहीं दी जाती। फिर जुमला उछला सात लाख नौकरी देने का। ये विधानसभा में भी उछला, मुख्यमंत्री ने भी उछाला। अब इस प्रतियोगिता में मुख्य सचिव ओमप्रकाश भी शामिल हो गए। वह अब गैरसैंण के लिए 50 साल का मास्टर प्लान बना रहे हैं। इसके कंपोनेंट में कुछ शुरुआती काम बताए गए हैं। मुख्य सचिव ओमप्रकाश की मजबूरी समझी जा सकती है। उन्हें ऐसी पिच पर बैटिंग करनी पड़ रही है, जहां न पिच है, न बाल और न विकेट है। सिर्फ मुख्य सचिव पद का बैट हाथ में लिए हुए हैं।

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