उत्तराखंड

विस चुनाव में भाजपा का चुनावी हथियार होगा कांग्रेस का पुराना भ्रष्टाचार, चुनाव बाद सीएम बदलने का सवाल टाल गए

हल्द्वानी: राजनीति में भ्रष्टाचार का मुद्दा चुनाव के समय चरम पर पहुंचता ही रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस व आम आदमी पार्टी भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मुखर है। वहीं भाजपा भी मिशन-2022 फतह करने के लिए फिर से कांग्रेस शासन के भ्रष्टाचार के मुद्दों को हथियार बनाने में जुट गई है। शीर्ष नेताओं ने रामनगर में आयोजित तीन दिवसीय चिंतन शिविर में इस पर चर्चा भी की। इस मुददे को भुनाने के लिए सभी नेता एकमत भी नजर आए।

उत्तराखंड में 2012 से 2017 तक कांग्रेस की सत्ता रही। तब 2013 में केदारनाथ आपदा आई थी। आपदा में बचाव व राहत कार्य में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इसके अलावा कई योजनाओं व भर्ती प्रक्रियाओं में भी भ्रष्टाचार को तब भाजपा ने मुद्दा बनाया था। भाजपा ने इन मुद्दों को सुनियोजित तरीके से भुनाया और सत्ता हासिल करने में कामयाब भी हो गई। अब प्रचंड बहुमत से सत्ता पर काबिज है। बाद के उपचुनावों में भी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है। हालांकि इसके बावजूद भाजपा सरकार में सीएम पांच साल नहीं टिक सके। चेहरा बदलने के पीछे की वजह को पार्टी ने अब तक राज ही रखा है।

आगामी चुनाव में सीएम बदलने का निर्णय विरोधियों के लिए चुनावी मुद्दा न बने, इसके लिए चिंतन शिविर में भी काफी मंथन हुआ। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी पत्रकार वार्ता में सीएम बदलने के सवाल को टाल गए। बस इतना कहा कि यह पार्टी का निर्णय था। उन्होंने स्वीकार किया कि 2022 के चुनाव में उतरने के लिए जब हमने 2017 के मुद्दों को कुरेदा तो कांग्रेस का भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा समझ में आया। यह मुद्दा आज भी जनता के बीच है। भ्रष्टाचार को लेकर जनता आज भी कांग्रेस से सवाल पूछ रही है। हम आगामी चुनाव में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से जनता से सामने रखेंगे। जनता को हमारे काम पर विश्वास है।

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