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ब्लैक फंगस को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को दी तैयारियों की समीक्षा की सलाह, बचने के लिए सुझाव भी दिए

नई दिल्ली: भारत में हाल के दिनों में, कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने म्यूकोर्मिकोसिस के केस रिपोर्ट हो रहे हैं, जिसे ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है. मौजूदा हालात में जहां एक तरफ कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में म्यूकोर्मिकोसिस चिंता का कारण बन रहा है. इसे देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अपनी तैयारियों की समीक्षा करने की सलाह दी है.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखकर दी है ये सलाह:-

– हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी का गठन किया जाए और अस्पताल या संस्था के मुखिया या प्रशासक को अध्यक्ष बनाया जाए.

– एक संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण नोडल अधिकारी को नामित करें, माइक्रोबायोलॉजिस्ट या वरिष्ठ संक्रमण नियंत्रण नर्स.

– नेशनल गाइडलाइन के तहत इन्फेक्शन अस्पताल में इन्फेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल प्रोग्राम इम्पलीमेंट को लागू करें.

– 1% सोडियम हाइपोक्लोराइट या 70% अल्कोहल जैसे डिसिन्फेक्टेंट के साथ अस्पताल और अक्सर छुई जाने वाली सतहों की सफाई, कीटाणुशोधन और स्वच्छता बनाए रखें.

– अस्पताल की सेटिंग में पानी या खाद्य जनित रोगों को रोकने के लिए सुरक्षित पानी और भोजन रहे.

– बायोमेडिकल वेस्ट को सीपीसीबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रबंधित करने की आवश्यकता है.

– संक्रमण की रोकथाम और कंट्रोल प्रैक्टिसेज़ को आईसीयू में बढ़ाने की ज़रूरत है ताकि उपकरणों से जुड़े संक्रमण जैसे वेंटिलेटर असोसिएटेड निमोनिया या कैथेटर से जुड़े रक्त प्रवाह और मूत्र संक्रमण आदि को रोकने के लिए बंडल अप्रोच का इस्तेमाल किया जाए.

– क्लिनिकल लैब्ज़ और अस्पताल में काम करने वाले में संक्रमण को रोकने और क्लिनिकल प्रैक्टिसेज़ और लैब्स में काम करने वालों, हॉस्पिटल स्टाफ़ और समुदाय की सेहत और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.

– इम्यूनोकोम्प्रोमाइज्ड मरीज़ों जैसे स्टेरॉयड ट्रीटमेंट पर कोविड के मरीज़, जिनको को मॉर्बिडिटी भी हो, उनके इलाज के समय संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण का सावधानीपूर्वक पालन होना चाहिए. इसके लिए गाइडलाइंस https://bit.ly/3bJA1Zr पर उपलब्ध है.

– समय के साथ साथ, वेंटिलेटर से जुड़े निमोनिया, कैथेटर से जुड़े ब्लड स्ट्रीम इन्फ़ेक्शन, कैथेटर से जुड़े यूरीन ट्रैक्ट इन्फ़ेक्शन, सर्जिकल साइट संक्रमण, गैस्ट्रो इंटेस्टिनल आउटब्रेक्स (gastro-intestinal outbreaks) पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वास्थ्य संबंधी संक्रमणों की निगरानी स्थापित करें. ज़्यादा मार्गदर्शन एम्स एचएआई नेटवर्क से लिया जा सकता है. विवरण https://www.haisindia.com पर उपलब्ध है.

– अस्पताल के संक्रमण नियंत्रण नियमावली में बताई गई प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल को लागू करने में, अपने व्यक्तिगत नियमित कर्तव्यों के बावजूद, आईपीसी में अपने कौशल को विकसित करने के लिए सभी अस्पताल कर्मचारियों को ट्रेंड करें.

– राज्य में आईपीसी कार्यक्रम का मूल्यांकन और फीडबैक देने के लिए संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राज्य नोडल अधिकारी की पहचान करनी चाहिए.

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आश्वासन दिया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय स्वास्थ्य नेशनल गाइडलाइन फोर इन्फेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल इन हेल्थकेयर फैसिलिटीज को लागू करने के लिए सभी आवश्यक सहायता देगा.

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