GST मुद्दे पर सरकार और व्यापारियों की बैठक में नहीं बनी कोई बात, 26 फरवरी को व्यापारियों का भारत बंद का एलान
नई दिल्ली. वस्तु व सेवा कर के कई प्रावधानों और टैक्स ऑफिसर्स के मनमाने रवैये पर व्यापारियों में नाराजगी है. कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इसके खिलाफ 26 फरवरी 2021 को भारत बंद का आह्वान किया है. व्यापारियों के इस कदम के मद्देनजर सरकार, व्यापारियों और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के बीच आज बैठक हुई, लेकिन वित्त मंत्रालय में हुई यह बातचीत बेनतीजा रही. बिना किसी नतीजे के खत्म हुई बैठक के बाद व्यापारियों ने ऐलान किया कि 26 फरवरी को भारत बंद किया जाएगा.
ट्रेडर्स के भारत बंद का समर्थन कर रहा ऐटवा भी देशभर में चक्का जाम करेगा. बैठक में वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अध्यक्ष पीसी मोदी और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष एम. अजीत कुमार भी थे. व्यापारियों की ओर से कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल, ऐटवा के चैयरमैन प्रदीप सिंघल और कैट जीएसटी कमेटी की अध्यक्ष पूनम जोशी ने शिरकत की. प्रतिनिधिमंडल ने जीएसटी और देशभर में कर प्रशासन की कार्यशैली से संबंधित व्यापारियों व ट्रांसपोर्टरों की समस्याओं पर ज्ञापन भी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को सौंपा. केंद्र सरकार और व्यापारियों के बीच अगली बैठक मार्च के पहले सप्ताह में होगी.
बैठक में गुजरात घटना का जिक्र, दोषियों पर होगी कार्रवाई
केंद्र सरकार और व्यापारियों व ट्रांसपोर्टरों के बीच हुई बैठक में गुजरात के जीएसटी अधिकारी की मनमानी का भी जिक्र किया गया. प्रवीण खंडेलवाल ने वित्त सचिव से दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. दरअसल, गुजरात के वापी में जीएसटी अधिकारियों ने व्यापारियों के साथ मारपीट की, जिसे व्यापारियों ने सीमाओं का उल्लंघन करार दिया. हालांकि, सीबीआईसी के अध्यक्ष एम. अजीत कुमार ने व्यापारियों से कहा कि आज सुबह ही उन्होंने डीजीजीआई, सूरत से इस घटना की रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. साथ ही स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार व्यापारियों का उत्पीड़न या उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं करेगी.
टैक्स चोरी पर सख्ती से पेश आएगी नरेंद्र मोदी सरकार
वित्त मंत्रालय और व्यापारियों के बीच हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि कानून की धज्जियां उड़ा रहे व फर्जी बिल के जरिये टैक्स चोरी कर रहे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. टैक्स चोरी करने वालों पर कैट ने दो टूक कहा कि ऐसे लोग ईमानदार व्यापारियों के लिए शैतान से कम नहीं हैं. दुर्भाग्य से जो लोग कर चोरी करते हैं, वो सरकार के टैक्स दायरे से बाहर हैं. इसका खामियाजा उन व्यापारियों को भुगतना पड़ता है, जो जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हैं. ऐसे व्यापारियों को समय पर रिफंड नहीं मिलता है. उनको कई मामलों में इनपुट क्रेडिट भी नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से उनका उत्पीड़न तो होता ही है, साथ ही उनकी पूंजी भी राजस्व विभाग के पास फंसी रहती है.
व्यापारियों ने कई मुद्दों की ओर दिलाया केंद्र का ध्यान
व्यापारियों ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के सामने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा आए दिन उनसे कई प्रकार का डाटा मांगा जाता है. यहीं नहीं, विभिन्न प्रशासनिक बाधाओं का लगातार उन्हें सामना करना पड़ रहा है. जीएसटी स्लैब में विसंगतियां होने के कारण हमेशा उनका कर भुगतान देय देनदारी से अधिक रहता है. खासकर ऐसे मामलों में जहां तैयार माल की तुलना में कच्चे माल की कर की दर अधिक है, वहां दिक्कतें ज्यादा हैं. चर्चा के दौरान व्यापारियों ने ई-वे बिल की समस्याओं का भी जिक्र किया.
टैक्स चोरी कर रहे बड़े कारोबारियों पर भी होगी कार्रवाई
देश भर में टैक्स चोरी और नकली इनवॉयस के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने वालों को लेकर केंद्र सरकार कोई नरमी नहीं बरतेगी. बैठक में अधिकारियों ने चिंता जताते हुए स्पष्ट कहा कि हजारों करोड़ के राजस्व के जाली बिल के मामलों में तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है. ऐसे बेईमान लोग ईमानदार व्यापारियों के कारोबार को गैर-प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं. टैक्स चोरी करने वाले लोग राष्ट्र के साथ धोखा कर रहे हैं. सरकार ऐसी बड़ी मछलियों को कानून के दायरे में लाने के लिए अभियान जारी रखेगी. व्यापारियों ने सुझाव दिया कि जिलास्तर पर कर अधिकारियों और कैट नेताओं का एक कार्यसमूह गठित किया जाना चाहिए. ये कार्यसमूह जीएसटी के कार्यान्वयन और व्यापारियों की समस्याओं को दूर करने में सहायता करे और जिला स्तर पर ही कर दायरा बढ़ाने पर काम करे.