तकदीर का खेल देखिए, विधायकी गई; पद भी गए

देहरादून। पासा पलटते ही शासनादेश भी पलटी मार जाते हैं। सत्ता जब अपनी रही तो विधायक जी का रसूख सरकार के सिर चढ़कर बोला। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान पौड़ी जिले के श्रीनगर क्षेत्र से विधायक रहे गणेश गोदियाल पहले राठ महाविद्यालय पैठाणी को राजकीय दर्जा दिलाने में कामयाब रहे। बाद में बीते विधानसभा चुनाव से ऐन पहले 23 दिसंबर, 2016 को शासन ने आदेश जारी कर महाविद्यालय में समूह-घ यानी चतुर्थ श्रेणी के 16 पदों पर कर्मचारियों के समायोजन और नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया था। तकदीर का खेल देखिए। चुनाव के बाद बनी भाजपा सरकार में गोदियाल को हराने वाले डा धन सिंह रावत उच्च शिक्षा राज्यमंत्री हैं। विभागीय मंत्री ने फाइल खंगाली तो पता चला कि महाविद्यालय में चतुर्थ श्रेणी का पद 2011 से ही मृत संवर्ग घोषित है। लिहाजा 16 पदों पर नियमित नियुक्त व समायोजन रद कर दिया गया। इस खेल से विपक्षी हैरान हैं।
सरकार का ही मोह भंग
प्रदेश में शिक्षा की दशा सुधारने को सरकार हाथ-पांव मार रही है। हैरान करने वाली बात ये है कि गुणवत्ता के मामले में सरकार को खुद अपने शिक्षा बोर्ड पर यकीन नहीं है। हर ब्लाक में दो-दो राजकीय इंटर कालेजों को अटल उत्कृष्ट विद्यालयों के लिए चुना गया है। इन्हें पब्लिक स्कूलों की टक्कर का बनाने का इरादा है। इन विद्यालयों को मान्यता उत्तराखंड बोर्ड के बजाय सीबीएसई बोर्ड से दिलाई जा रही है। सरकार ने सीबीएसई चेयरमैन को पत्र भेजा है। राज्य बनने के बाद से ही हर साल प्राथमिक से माध्यमिक तक सरकारी विद्यालयों में छात्रसंख्या तेजी से गिर रही है। इस पर रोक लगाने के अब तक के प्रयास कामयाब नहीं हुए। अभी तक माना ये जाता रहा कि अभिभावकों और छात्रों का ही उत्तराखंड बोर्ड से मोहभंग हो रहा है। अब ये लगता है कि खुद सरकार को भी अपने ही बोर्ड पर भरोसा नहीं है।