उत्तराखंड

हरीश रावत समर्थक अड़े, कांग्रेस के अंदरूनी घमासान में अब हाइकमान की जरूरत

हल्द्वानी : विपक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। हरीश रावत गुट और प्रदेश नेतृत्व के बीच की बयानबाजी ने कई बार साबित किया कि गुटबाजी थमी नहीं। कुछ मौकों को छोड़ दिया जाए तो दिग्गज एकजुट नहीं दिखे। वहीं, अब हरीश रावत खेमा खुलकर हरदा के लिए लांबिंग कर रहा।

भले हरदा ने अब तक यह नहीं कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जाए। लेकिन उनके समर्थक उनके अलावा किसी और नाम का जिक्र करने को भी तैयार नहीं। अब इस असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के दखल की जरूरत है। वरना गुटबाजी अनियंत्रित स्थिति तक पहुंच जाएगी। और चुनावी दहलीज पर खड़ी पार्टी को नुकसान होना लाजिमी है।

पूर्व प्रभारी अनुग्रह नारायण सिंह ने ढाइ साल तक प्रयास किया कि कांग्रेस के दो धड़ों का मिलन हो जाए। मगर वो इसमें कामयाब नहीं हो सके। इसके बाद युवा चेहरे देवेंद्र यादव को प्रदेश प्रभारी की कमान सौंपी गई। उन्होंने नेताओं से लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को बूथ मैनेजमेंट पर फोकस करने को कहा। प्रदेश कांग्रेस इस दिशा में तेजी से काम भी कर रही है।

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