उत्तराखंड

उत्तराखण्ड: पीलीभीत से नकली नोट छापने के ल‍िए लाते थे कागज, एक करोड़ बाजार में खपा चुके तस्‍कर

चम्पावत I जल्दी अमीर बनने की हसरत और रुपए कमाने की हवस ने नव युवकों को जाली नोटों की अंधेरी दुनिया में कदम रखने के लिए बेचैन कर दिया था। फिर उन्हाेंने अच्छा-बुरा कुछ भी न सोचते हुए धड़ल्ले से नकली नोटों की छपाई शुरू कर दी। एजेंटों के सहारे नकली नोटों को बजार में खपाया जाता था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक तस्करों ने अब तक करीब एक करोड़ नकली नोट छापे थे। और उन नाेटों को 40 से 50 लाख में तस्करों को बेच दिया थे। कमीशन की रकम सभी आपस में बांट लेते थे। असली नोट पास आने लगे तो लालच और बढ़ती गई। नतीजा अब तीनों तस्कर पुलिस की गिरफ्त में हैं। बता दें कि टनकपुर पुलिस और एसओजी ने बीते गुरुवार को नकली नोट छापने वाले तीन तस्करों को गिरफ्तार कर जनसुविधा केन्द्र को सील कर दिया था। सीएससी से नोट छापने वाले कागज, प्रिन्टर, लैपटॉप समेत अन्‍य संदिग्ध सामान बरामद‍ किए गए थे।

ऐसे हुआ था मामले का खुलासा

एसओजी टीम और कोतवाली टनकपुर पुलिस ने बुधवार को चेकिंग के दौरान मनिहारगोठ तिराहे पर स्‍पलेंडर से आ लोगों को रोककर पूछताछ की। तलाशी के दौरान उनके पास से तीन लाख नकली करेंसी बरामद हुई। गिरफ्तार अभियुक्‍तों बृजकिशोर पुत्र नागेश्वर प्रसाद निवासी ग्राम बगनैरा थाना अमरिया पीलीभीत उम्र 29 और रियाज पुत्र मुश्ताक अहमद, बलिया थाना अमरिया पीलीभीत उम्र 27 को टनकपुर कोतवाली में लाकर पूछताछ की गई। अभयुक्‍तों ने बताया कि वे अपने साथी हरदेव सिंह पुत्र जगजीत सिंह निवासी ग्राम टुकङी थाना नानकमत्ता ऊधसिंहनगर उम्र 29 की बिडौरा मझोला स्थित जन सुविधा केन्द्र एवं फोटो स्टेट की दुकान पर स्कैन कर नोट तैयार करते थे। जिसे वे सितारगंज, काशीपुर, बाजपुर देहात क्षेत्र चलाते थे। बाद में जो रुपए मिलते थे उसे बराबर बांट लेते थे।

साथ पढ़ते-पढ़ते नकली नोटों के सौदागर बन बैठे

जाली नोट छपाई मामले में पुलिस के हत्थे चढ़े तीन आरोपितों में से बृजकिशोर व हरदेव सिंह के बीच सालों पुराना याराना है। बृजकिशोर के पिता नागेश्वर करीब 20 साल पूर्व हरदेव के यहां रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे। इसी दौरान बृजकिशोर व हरदेव की दोस्ती हुई, जो समय के साथ गहराती गई। यह साथ नकली नोट छापने तक बना रहा। हरदेव के पिता जगजीत ने बताया कि नागेश्वर उनके घर ही रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे। सप्ताह में एक दिन सितारगंज डैम स्थित अपने घर जाते थे। ट््यूशन के दौरान ही पहली बार हरदेव व बृजकिशोर की मुलाकात हुई। समय के साथ नागेश्वर व जगजीत के बच्चों में दोस्ती गहरी होती गई।

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