उत्तराखंड

सत्ता के गलियारे से : बढ़ि‍या तीरथजी, कर ही डाला शटर डाउन

देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर ने संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा किया है। सूबे में कोरोना की कड़ी तोड़ने के लिए सरकार ने तमाम सख्त प्रविधान के अलावा दोपहर दो बजे बाजार बंद करने का नियम लागू किया, केवल जरूरी चीजों की दुकानों को इससे मुक्त रखा गया। अचरज तब हुआ, जब दवा के साथ दारू की दुकान भी इस पाबंदी के दायरे से बाहर कर दी गई। दरअसल, सवाल 3500 करोड के राजस्व का जो है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कोरोना से निबटने के उपायों पर चर्चा को सर्वदलीय बैठक बुलाई, तो भला विपक्ष कैसे मौका चूकता। घेर लिया तीरथ को इस सवाल पर कि क्या दारू भी आवश्यक वस्तुओं में शुमार है, लेकिन तीरथ भी खिलाड़ी निकले। बगैर देर किए एलान कर दिया कि सरकार के लिए सेहत की सुरक्षा पहले है, राजस्व बाद में। नतीजा, अब दारू की दुकानों का भी दो बजे शटर डाउन।

ऐसा पहली बार हुआ 21 सालों में

नौ नवंबर 2000 को अलग राज्य बनने के बाद चौथी निर्वाचित विधानसभा वजूद में है। यह विधानसभा कई मामलों में पिछली तीन विधानसभाओं से जुदा है। मसलन, ऐसा पहली बार हुआ, जब कोई पार्टी तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ सत्ता में आई, लेकिन एक दुर्योग भी जुड़ गया है इस चौथी विधानसभा के साथ। पहली बार ऐसा हुआ जब चार निर्वाचित विधायक एक विधानसभा में दिवंगत हो गए। पहले थराली सीट से विधायक मगनलाल शाह, फिर पिथौरागढ़ के प्रकाश पंत। इसके बाद सल्ट के विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और अब गंगोत्री से गोपाल सिंह रावत। चारों सत्तापक्ष भाजपा के विधायक रहे। अभी स्व जीना की सल्ट विधानसभा सीट के उपचुनाव का नतीजा भी नहीं आया कि एक और उपचुनाव की बाध्यता। हालांकि पिछली दो विधानसभाओं की तरह इस विधानसभा में भी सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की परंपरा कायम रही। त्रिवेंद्र के उत्तराधिकारी के रूप में कमान संभाली तीरथ ने।

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