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चीन को सबक सिखाने के लिए साथ आए भारत-अमेरिका, जानें दोनों देशों के बीच किन मुद्दों पर बनी सहमति

नई दिल्ली। भारत-अमेरिका परस्पर सहयोग को नई ऊंचाई देने के साथ तीसरे देश में भी सहयोग की संभावनाओं पर काम करेंगे। भारत-अमेरिका ने जिस तरह से अपने सहयोग को विस्तारित करने का मन बनाया है, वह चीन को बहुत चुभ सकता है। सूत्रों ने कहा कि चीन का दखल और आक्रामकता कई देशों में लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में भारत और अमेरिका की हिंद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और सामरिक रणनीति के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो सकती है।

सूत्रों ने कहा कि चीन का व्यवहार दक्षिण चीन सागर और पूर्व चीन सागर में क्षेत्रीय विवादों को जन्म दे रहा है। लद्दाख में चीनी सेना की आक्रामकता के अलावा ताइवान सहित एशिया और यूरोप के कुछ देशों में भी चीनी व्यवहार को लेकर चिंता है। क्वाड के देश इस आक्रामकता के खिलाफ अलग तरीके से काम कर रहे हैं। टू प्लस टू बैठक में भी चीनी आक्रामकता पर चर्चा हुई, हालांकि रणनीति के तहत भारत ने चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन अमेरिका खुलकर चीन को घेर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि भारत के अलावा पोम्पियो श्रीलंका और कुछ अन्य देशों की यात्रा पर जाएंगे। यह इस क्षेत्र में अमेरिका की दिलचस्पी को दिखाता है और आश्चर्य नहीं होगा अगर आने वाले दिनों में इस इलाके में भारत अमेरिका की साझा रणनीति नजर आए। सूत्रों ने कहा अमेरिका की दिलचस्पी चीन का दखल कम करने में कारगर होगी।

अमेरिकी विदेश मंत्री 28 को कोलंबो में वार्ता करेंगे

गौरतलब है कि अमेरिकी विदेश मंत्री 28 अक्तूबर को कोलंबो में वार्ता करेंगे। अमेरिकी विदेश विभाग ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा था कि पोम्पियो कोलंबो की यात्रा करेंगे। उनकी यात्रा का मकसद मजबूत और संप्रभु श्रीलंका के साथ साझेदारी की अमेरिकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करना और स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए हमारे साझे लक्ष्य को आगे बढ़ाना है। चीनी सेना रणनीतिक रूप से अहम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ताकत दिखा रही है।

पोम्पियो की यात्रा से करीब दो हफ्ते पहले चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य यांग जीईची की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने श्रीलंका की यात्रा की थी। पोम्पियो की कोलंबो की यात्रा से एक दिन पहले यहां स्थित चीनी दूतावास ने आरोप लगाया था कि अमेरिका, चीन और श्रीलंका के बीच के रिश्तों में दखल दे रहा है। पोम्पियो श्रीलंका के अलावा मालदीव व इंडोनेशिया का दौरा कर रहे हैं। चीन के लिए ये दौरा पूरी तरह से खटकने वाला है।

सुरक्षा व खुफिया सहयोग बढ़ेगा : पीके मिश्रा

सामरिक जानकार व विवेकानंद फाउंडेशन के सीनियर फेलो पीके मिश्रा का कहना है कि अमेरिका भारत को हथियार देने के अलावा जरूरी खुफिया सूचनाएं दे रहा है। नए समझौते से जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक दोनों देशों का सुरक्षा व खुफिया सहयोग बढ़ेगा। दोनों देश समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद व क्षेत्रीय सुरक्षा पर मिलकर काम करेंगे। क्वाड को विस्तारित करने और पारस्परिक सहयोग को अपनी सीमाओं से आगे बढ़ाना दोनों देशों के हित में होगा।

बेका समझौता अत्यंत महत्वपूर्ण : शशांक

पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि भारत के साथ बेका समझौता अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को दर्शाता है। अमेरिका के लिए चीन का दखल केवल भारत सीमा पर नहीं कई अन्य इलाकों में चिंता का विषय है। अमेरिका इसे काउंटर करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

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