भारत को मिली बड़ी कामयाबी, कालाधन धारको की स्विस बैंक से मिली दूसरी लिस्ट
भारत को एईओआई (सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान) के तहत सितंबर 2019 में स्विट्जरलैंड से विवरण का पहला सेट मिला था। उस समय इसमें 75 देश शामिल थे।एफटीए ने शुक्रवार को एक बयान में कहा इस साल सूचना के आदान-प्रदान में लगभग 31 लाख वित्तीय खाते शामिल हैं। वर्ष 2019 में भी करीब इतने ही खातों की जानकारी दी गई थी।
हालांकि, बयान में 86 देशों के बीच भारत के नाम का अलग से उल्लेख नहीं था, लेकिन अधिकारियों ने बताया कि भारत उन प्रमुख देशों में है, जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने स्विस बैंकों के ग्राहकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के वित्तीय खातों के बारे में विवरण साझा किया है।
स्विट्जरलैंड ने 30 लाख से अधिक वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की
अधिकारियों ने आगे कहा कि इस साल 86 देशों के साथ स्विट्जरलैंड ने 30 लाख से अधिक वित्तीय खातों के बारे में जानकारी साझा की है और इसमें एक ‘बड़ी ‘संख्या’ भारतीय नागरिकों और संस्थाओं से संबंधित है।उन्होंने कहा कि स्विस अधिकारियों ने भारत के अनुरोध पर पिछले एक साल में 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और संस्थाओं के बारे में जानकारी साझा की है, जिनके खिलाफ कर चोरी और वित्तीय गड़बड़ियों की जांच चल रही थी।ये मामले ज्यादातर पुराने खातों से संबंधित हैं, जो 2018 से पहले बंद हो चुके हैं।
जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है
एईओआई केवल उन खातों पर लागू होता है, जो 2018 के दौरान सक्रिय थे या इस बीच बंद किए गए।इनमें से कुछ मामले भारतीयों द्वारा पनामा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड और केमैन आइलैंड जैसे स्थानों की संस्थाओं में जमा धन से संबंधित हैं। इनमें से ज्यादातर व्यापारी हैं, जबकि कुछ राजनेता और उनके परिजन भी शामिल हैं।अधिकारियों ने हालांकि गोपनीयता का हवाला देते हुए भारतीयों के मौजूदा खातों की संख्या या इनमें जमा धनराशि के बारे में ब्यौरा देने से इनकार किया।स्विस अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी में पहचान, खाता और वित्तीय जानकारी शामिल है।
इस तरह का अगला आदान-प्रदान सितंबर 2021 में होगा
इन जानकारी से कर अधिकारियों को यह पता करने में मदद मिलेगी कि क्या करदाताओं ने कर रिटर्न में अपने वित्तीय खातों के बारे में सही जानकारी दी है।इस तरह का अगला आदान-प्रदान सितंबर 2021 में होगा। स्विट्जरलैंड का पहला ऐसा आदान-प्रदान सितंबर 2018 के अंत में हुआ और इसमें 36 देश शामिल थे। उस समय भारत इस सूची में शामिल नहीं था। इस समय लगभग 8,500 वित्तीय संस्थान (बैंक, ट्रस्ट, बीमाकर्ता, आदि) एफटीए के साथ पंजीकृत हैं। ये संस्थाएं आंकड़े जमा करके एफटीए को देती हैं।